एक सितंबर तक खत्म करना होगा पुराना स्टॉक
कानपुर : बुधवार से कानपुर में गहनों में हॉलमार्क लागू कर दिया गया है। हालांकि कुंदन, पोल्की और ज्वैलरी वाली घड़ियों को हॉलमार्क के दायरे से बाहर रखा गया है। इसके अलावा जिन सराफा कारोबारियों के पास पुराने गहने हैं, उन्हें एक सितंबर तक स्टॉक क्लीयर करने की छूट दी गई है।इस दौरान उन पर किसी प्रकार की पेनाल्टी नहीं लगेगी। वहीं कारोबारियों को केवल एक बार ही पंजीकरण कराना होगा। नवीनीकरण का कोई झंझट नहीं होगा। कितने कैरेट के गहनों पर हॉलमार्क लगना है, इस पर जल्द ही सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। कारोबारियों ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक सकारात्मक रही। पहले चरण में कानपुर समेत देश भर के 256 जिलों में हॉलमार्क लागू किया जा रहा है। अभी 14, 18 और 22 कैरेट के गहनों पर हॉलमार्क लागू था।इस व्यवस्था से ग्राहकों शुद्ध और प्रमाणिक ज्वैलरी मिल सकेगी। शहर में केवल चुनिंदा या निजी कंपनियों के शोरूमों में हॉलमार्क ज्वैलरी बिकती है। शहर में करीब 2500 सराफा कारोबारी हैं। इनमें केवल 86 के पास ही लाइसेंस है। शहर में
चौक सराफा, नयागंज, बिरहाना रोड थोक और फुटकर आभूषणों का बड़ा बाजार है। यहां पर पांच बड़े बुलियन कारोबारी हैं। जहां से आभूषण बनाने के लिए कारोबारी सोने की खरीद करते हैं। इन कारोबारियों के पास 2000 किलो सोने के गहनों का स्टॉक होने का अनुमान है। इसमें 1500-1800 किलो के गहने बगैर हॉलमार्क के हैं।
हॉलमार्क ज्वैलरी में बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) का लोगो, सराफा का नाम, वजन, कैरेट की मुहर लगी होती है। हॉलमार्क सेंटर पर प्रति पीस 36 से 50 रुपये खर्च आता है। 40 लाख के टर्न ओवर पर अनिवार्य नहीं है। ऐसे में छोटे कारोबारी इस नियम से अभी से बाहर हो गए हैं। पंजीकरण प्रक्रिया सरल और आसान होगी, कोई पंजीकरण शुल्क नहीं लगाया गया है।
युवक की संदिग्ध हालात में गोली लगने से मौत
कानपुर : यूपी के हमीरपुर जिले में बुधवार को युवक की मौत का एक सनसीखेज मामला सामने आया है। थाना जरिया के इटैटेलियाबाजा गांव में खेतों में 40 वर्षीय युवक की संदिग्ध हालात में गोली लगने से मौत हो गई। सुबह शव मिलने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी मिलते ही संबंधित थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस का कहना है कि प्रथम द्रष्टया युवक ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की है। मौके पर एक तमंचा 315 बोर व 7 जिंगा कारतूस, मोबाइल फोन मिला है पुलिस अधीक्षक एनके सिंह ने बताया कि मृतक जयपाल के पिता माधव प्रसाद ने तहरीर दी है, जिसमें कहा कि युवक मंगलवार की रात असहज महसूस कर रहा था। उन्होंने किसी पर हत्या की आशंका नहीं जताई है। मौके पर डॉग स्क्वायड की टीम सहित सीओ द्वारा जांच की जा रही है।
दूसरे दिन भी परिजनों ने हंगामा कर लगाया जाम
उन्नाव : जिले में सड़क हादसे में दो दोस्तों की मौत से गुस्साए परिजनों ने जमकर हंगामा किया। मामला बढ़ता देख भारी फोर्स मौके पर तैनात रही। सदर कोतवाली के अकरमपुर में मंगलवार दोपहर कार की टक्कर से बाइक सवार देवीखेड़ा गांव निवासी राजेश व विपिन की मौत हो गई थी। परिजनों ने मुआवजे की मांग को लेकर जिला अस्पताल के सामने जाम लगाया था। बुधवार सुबह आक्रोशित परिजनों ने मुआवजे की मांग को लेकर फिर अकरमपुर टीवी टावर के निकट शव रखकर जाम लगाया। पुलिस के पहुंचने पर भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। जिस पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी। पथराव में कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। सदर कोतवाली क्षेत्र में भीड़ व मृतकों के परिवार द्वारा जाम लगाने और पुलिस पर पथराव की घटना में अपर पुलिस अधीक्षक शशि शेखर सिंह ने कहा कि चौकी इंचार्ज समेत करीब 15 पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं। पथराव करने वालों की गिरफ्तारी की जा रही है।
खतरे में कानपुर के आठ हजार लोगों की जान
कानपुर : समेत पूरे यूपी में मानसून सक्रिय हो चुका है। ऐसे में कानपुर में जगह-जगह जर्जर मकान आसपास के लोगों के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। नगर-निगम सिर्फ नोटिस तामील कर मगन है। आकड़ों में करीब 700 ऐसे मकान हैं जो कभी भी आंधी-तूफान और बारिश के बीच ढह सकते हैं। पुन: आंकलन करने पर ऐसे मकानों की संख्या दोगुनी हो सकती है। इन मकानों में रहने वाले 8 हजार से ज्यादा लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। बारिश का मौसम जैसे ही आता है, जर्जर भवनों के मालिकों द्वारा भवनों को गिराने की एप्लिकेशन नगर निगम में आने लगती है। इस बार भी नगर निगम में 500 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। इस पर कार्रवाई के नाम पर जोनल अधिकारी नोटिस देकर खानापूर्ति कर लेते हैं। इस बार भी नगर निगम 100 से ज्यादा जर्जर भवनों को खुद से गिराने और खाली करने की नोटिस जारी कर चुका है।
अधिकारियों का काम जर्जर भवनों को सिर्फ चिन्हित करने का रह गया है। नगर निगम अगर बिल्डिंग गिराता है तो गिराने का खर्च मकान मालिक को ही देना होता है। वहीं कानपुर में 150 से अधिक जर्जर भवन ऐसे हैं, जिनमें मकान मालिक और किराएदार के बीच कोर्ट में केस चल रहे है। फैसले के इंतजार में कई जर्जर भवन गिर भी चुके हैं। बीते 4 सालों में नगर निगम ने महज 12 भवनों को ही गिराया है। शहर के बेकनगंज, कछियाना, हरबंशमोहाल, टोपी बाजार, मछलीबाजार, नौघड़ा, नयागंज, मनीराम बगिया, बांसमंडी, लाटूश रोड, चमनगंज, लक्ष्मीपुरवा, लाठीमोहाल, सिरकीमोहाल, भन्नानापुरवा, चटाई मोहाल, जवाहर नगर, अनवरगंज आदि क्षेत्रों में जर्जर भवनों की संख्या ज्यादा है।