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7800 करोड़ के घोटाले का आरोपी उदय देसाई जेल से बाहर

कानपुर : करीब 7820 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले के आरोपी फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के निदेशक व हीरा कारोबारी उदय देसाई को 60 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है। हैरान करने वाली बात ये है कि हाईपावर कमेटी की गाइड लाइन के तहत विशेष न्यायाधीश की ओर से जेल में दिया गया आदेश लगभग 15 दिन बाद भी कंपनी मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत की फाइल में दाखिल नहीं हुआ। उदय देसाई ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपनी ही जमानत याचिका पर जब शपथ पत्र लगाया तब उसकी रिहाई का खुलासा हुआ। सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) की ओर से दिए गए शिकायती पत्र पर कंपनी मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश ने लिपिक से रिपोर्ट मांगी है। कोरोना काल के दौरान बंदियों को पैरोल पर छोड़े जाने के लिए बनाई गई हाईपावर कमेटी के न्यायाधीश ने 22 जून को जेल से ही उदय देसाई की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में दिए शपथ पत्र में उदय ने जब जेल से रिहाई का जिक्र किया तो एसएफआईओ ने हाईकोर्ट में रिवीजन दाखिल करने का मन बनाया। एसएफआईओ के स्थायी अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा ने प्रकरण की जानकारी की तो पता चला कि जमानत आदेश और बंधपत्र कोर्ट में चल रही फाइल में अब तक दाखिल नहीं हुए। उन्होंने बुधवार को कोर्ट में दी अर्जी में कहा कि उदय की जमानत हाईकोर्ट से 25 मार्च 2021 को खारिज हो चुकी है। इससे पहले कोविड-19 के आधार पर दिया गया अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र भी खारिज किया जा चुका है। कमोडिटीस एंड मर्चेंट ट्रेडिंग का व्यापार करने वाली फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर तथा मोहन स्टील लिमिटेड के निदेशक व ऑडिट कमेटी के चेयरमैन रहे उदय देसाई पर कंपनी खातों में हेरफेर कर बैंकों से लगभग 7820 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है। सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस की ओर से 15 मई 2020 को कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें उदय देसाई के साथ उनके बेटे सुजय देसाई भी आरोपी हैं।

शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में फर्जीवाड़े के मामले

कानपुर : में शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में फर्जीवाड़े के मामले में जिलाधिकारी आलोक तिवारी ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई की। उन्होंने 19 लेखपालों को निलंबित करने और आठ कानूनगो के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए एसडीएम सदर दीपक पाल को आदेश दिया है। इसी तरह  एसीएम अमित गुप्ता, नायब तहसीलदार अरसला नाज व विराग करवरिया, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वर्षा अग्रवाल, उपनिदेशक प्रियंका अवस्थी, उपनिदेशक अल्पसंख्यक कल्याण, पटल सहायक नीरज अग्रवाल, पिछड़ा वर्ग के उपनिदेशक अजीत प्रताप सिंह, लाल मणि मौर्य और लेखाकार संजय पांडेय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए शासन को पत्र लिखा है।

समाज कल्याण, अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग विभाग की पारिवारिक लाभ, शादी अनुदान योजना में 2533 अपात्रों को फर्जी तरीके से लाभ पहुंचाया गया था। करीब सात करोड़ 27 लाख रुपये का अनुदान जांच अधिकारियों की मिलीभगत से लुटाया गया।अपात्रों के आवेदन पत्रों की जांच में सत्यापन अधिकारी से लेकर रिपोर्ट लगाने वाले अधिकारी दोषी पाए गए थे। एसडीएम सदर दीपक पाल ने आवेदन पत्रों की जांच में दोषी मिले अधिकारियों के नाम जिलाधिकारी आलोक तिवारी को भेजे थे। जांच रिपोर्ट देखने के बाद जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर को लेखपालों को निलंबित करने का आदेश जारी किया।

अमित गुप्ता वर्तमान में एसीएम-2 हैं, लेकिन जब ये फर्जीवाड़ा हुआ तब ये तहसीलदार सदर हुआ करते थे। इन पर तत्कालीन तहसीलदार के तौर पर कार्रवाई हो रही है। अरसला नाज वर्तमान में हरदोई में नायब तहसीलदार के पद पर तैनात हैं, फर्जीवाड़े के समय ये सदर तहसील में नायब तहसीलदार थीं।  विराग करवरिया वर्तमान में नायब तहसीलदार सदर हैं। उस समय भी सदर तहसील में तैनात थे।  हर नारायन दुबे, अश्विनी कुमार, आलोक कुमार, स्नेहंस शुक्ल, नीतू त्रिपाठी, हरीशंकर विश्वकर्मा, पीयूष सिंह, आशीष यादव, प्रीति दीक्षित, सुशील कुमार, अजय कुशवाहा, सुजीत कुशवाहा, गुलाब सिंह, देवेंद्र बाजपेई, प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, दिलीप सचान, धर्मपाल, अरविंद तिवारी, राम खिलावन भारती।

फावड़े से काटकर डंपर चालक की नृशंस हत्या

कानपुर :  में बिधनू के कुरौना बहादुर नगर गांव में बुधवार रात एक डम्पर चालक की फावड़े से काटकर नृशंस हत्या कर दी गई। गुरुवार सुबह गांव बाहर खेत के बोरवेल में खून से सना उसका शव पड़ा मिला। पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी है। फॉरेंसिक टीम ने भी साक्ष्य जुटाए हैं।गांव निवासी प्रकाश यादव किसान हैं। इनका इकलौता बेटा अंकित यादव (22) डम्पर चलाता था। बुधवार रात 8 बजे वह घर से निकला था। कुछ देर बाद उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। जब अंकित वापस नहीं लौटा तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। सुबह करीब 6 बजे ग्रामीणों ने बोरवेल में खून से लहूलुहान शव पड़ा देख उसके परिजनोंं को बताया। कानपुर आउटर के एएसपी आदित्य कुमार शुक्ला ने बताया मामले की जांच की जा रही हैं।कुछ संदिग्धों की उठाया गया है, उनसे पूछताछ जारी है। जल्द वारदात का खुलासा किया जाएगा। अंदेशा है कि अंकित की हत्या आशनाई या रंजिश में कई गई। हालांकि जांच पूरी होने के बाद पूरा मामला स्पष्ट होगा।

दिलीप कुमार को कानपुर का शीरमाल और कबाब था पसंद

कानपुर : दिलीप कुमार के अंदर घमंड जरा सा भी नहीं था। वह बहुत ही सरल स्वभाव के थे और ज्यादा से ज्यादा परिवार में समय बिताते थे। उन्हें कानपुर का शीरमाल और कबाब बहुत पसंद था। ये बातें दिलीप के रिश्तेदार स्वरूप नगर निवासी तारिक इब्राहिम व उनकी पत्नी वासिया इब्राहिम ने बताई। वासिया इब्राहिम के बताया कि चाचा फजल हलीम और दिलीप कुमार दोस्त थे। इसलिए दोनों के संबंध एक परिवार की तरह थे। जब भी दिलीप कुमार कानपुर या आसपास के जिलों में आते तो इनके घर जरूर आते थे। तारिक इब्राहिम ने बताया कि दिलीप कुमार शूटिंग के अलावा पूरा समय घर परिवार के बीच ही देना पसंद करते थे।

ऐसे में जब पुरानी बातें छिड़तीं तो घंटों की फुर्सत हो जाती थी। एक बार जो भी कोई उनसे मिलता तो फैन हो जाता था। उनके स्वभाव को लेकर चर्चाएं हमेशा होती रहती हैं। हम लोगों के मुंबई जाने पर शूटिंग से छूटते ही मिलने घर आते थे। वह मीट खाने के ज्यादा शौकीन थे। उनके आने पर नॉनवेज पार्टी होती थी। उन्हें कानपुर का शीरमाल और कबाब बहुत पसंद था। जब हम लोग कभी मुंबई जाते थे तो उनके लिए शीरमाल और कबाब लेकर जाते थे।

तारिक इब्राहिम ने बताया कि वह आखिरी बार 1980 में कानपुर आए थे। इससे पहले 1961 और 1972 में स्वरूप नगर स्थित महमूद हलीम के घर आए थे। हलीम शिक्षण संस्थानों और मुस्लिम एसोसिएशन के संस्थापक हाफिज मुहम्मद हलीम के पुत्र महमूद हलीम थे। महमूद हलीम के दामाद तारिक इब्राहिम हैं। उनके आने की खबर मिलते ही परिवार में एक अलग सा उत्साह लोगों में छा जाता था। वह लोगों के बीच हंसी-खुशी का माहौल बनाने में बहुत माहिर थे। फिल्म विकास परिषद उत्तर प्रदेश के चेयरमैन राजू श्रीवास्तव ने फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर शोक जताया। कहा कि दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन फिल्म जगत के लिए बड़ी क्षति है। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।

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