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होम आइसोलेशन वाले मरीजों के तीमारदार दर-दर भटक रहे

कानपुर : कोरोना संकट में ऑक्सीजन की तलाश में होम आइसोलेशन वाले मरीजों के तीमारदार दर-दर भटक रहे हैं। मरीजों का ऑक्सीजन लेवल घटते ही परिजनों की धड़कनें तेज हो जा रही हैं। अस्पताल ले जाना चाहें तो बेड की किल्लत और दूसरी तरफ ऑक्सीजन के लिए लंबी कतारें हैं। इन हालात में होम आइसोलेशन वाले तमाम मरीज के परिजन भटक रहे हैं।

कल्याणपुर क्षेत्र की उन्नयन बस्ती के राजेश सिंह कोरोना संक्रमित हैं। एक सप्ताह पहले उनकी तबीयत खराब हुई थी। सोमवार रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे चला गया। मंगलवार सुबह से लेकर शाम तक ऑक्सीजन के लिए कई जगह चक्कर काट चुके।  परिजन ना तो ऑक्सीजन सिलिंडर का इंतजाम कर पा रहे हैं, ना ही शहर के किसी अस्पताल में उनके लिए बेड का। कई बार कोविड कंट्रोल के नंबर मिलाए, लेकिन रिस्पांस नहीं मिला।

आवास विकास के कमल किशोर अपनी पत्नी को 12 घंटे बाद अस्पताल में भर्ती करा पाए। सुबह से रात तक अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। कमल की पत्नी गीता को तीन दिन पहले बुखार आया था। जांच में कोरोना संक्रमित होने का पता चला। सोमवार को उनकी तबियत बिगड़ गई। किसी तरह उन्हें एंबुलेंस से ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैलट ले गए, लेकिन उन्हें बेड नहीं मिला। वो शहर के कई निजी अस्पतालों के भी चक्कर काटते रहे, लेकिन कही बेड नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने अपने जानने वालों से गुहार लगाई तो उन्हें रात 11 बजे काकादेव स्थित एक अस्पताल में बेड मिल पाया।

आपदा में अवसर नहीं, सांसों से लड़ती जिंदगी देखी

कानपुर : महामारी के दौर में हर तरफ से नकारात्मक सूचनाओं से मन खिन्न है। दवा से लेकर इलाज तक आपदा में लूटखसोट का अवसर तलाशते लोग व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहे हैं। इनके लिए सबक हैं वो तीन शख्सियतें, जिन्होंने जिंदगी की जरूरत समझी। संकटकाल में शहर को भरपूर प्राणवायु उपलब्ध कराने के लिए किसी ने वक्त की जरूरत को कारोबार से ऊपर रख दिया है तो कोई कम संसाधन में भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश में लगा है। आइए जानते हैं रिमझिम इस्पात, बब्बर गैस प्लांट और मुरारी इंडस्ट्रियल गैस किन चुनौतियों के बीच आपकी जरूरत पूरी करने में जुटी हैं

सांसों पर आए संकट को दूर करने की कोशिश में कानपुर के ऑक्सीजन प्लांट बब्बर गैस एजेंसी में डबल शिफ्ट में कर्मचारियों की ड्यूटी लगानी पड़ रही है। यहां के कर्मचारी 16 से 18 घंटे मेहनत कर रहे हैं, पर मांग दोगुनी होने के चलते आधी ही आपूर्ति कर पा रहे हैं। इसके चलते उनको सिलिंडर भराने आए लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है। बब्बर गैस एजेंसी के संचालक सुमित बब्बर का कहना है कि लोग साथ दें, सबको ऑक्सीजन देने की पूरी कोशिश की जा रही है। ऑक्सीजन भरने वाले कर्मचारियों की कमी के चलते भी दिक्कत आ रही है।

सुमित ने बताया कि 17 अप्रैल से ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है। तब से लगातार इसमें इजाफा हुआ है। वर्तमान में रोज करीब एक हजार सिलिंडरों की आपूर्ति अस्पतालों और अन्य लोगों के उपचार के लिए की जा रही है। रोज नौ से 10 टन ऑक्सीजन की खपत है। मांग करीब दो हजार सिलिंडर यानी करीब बीस टन ऑक्सीजन की है।

सुमित के मुताबिक गैस भरना एक्सपर्ट का काम है। जरा सी चूक बड़ी घटना में तब्दील हो सकती है। ऐसे में कुशल कर्मचारी ही रखे जाते हैं। पिछले कुछ दिनों से ऐसे कर्मचारियों की बेहद कमी है। एजेंसी में तीन कर्मचारी हैं, जो तय समय से अधिक काम कर रहे हैं। सुमित ने बताया कि छोटा सिलिंडर (1.05 क्यूबिक) 200 रुपये और बड़ा सिलिंडर (7 क्यूबिक) पांच सौ रुपये में भरा जाता है। एक बार में 24 सिलिंडरों में ऑक्सीजन भरी जाती है, जिसमें 30 से 40 मिनट का समय लगता है। इसी वजह से देर होती है

कानपुर में सबसे ज्यादा दिक्कत लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की है। सरकार इसकी आपूर्ति बढ़ा दे तो ऑक्सीजन का संकट जल्द खत्म हो सकता है। यह बात ऑक्सीजन प्लांट मुरारी इंडस्ट्रियल गैस के एमडी अजय मिश्रा ने कही। उनका कहना है कि इन दिनों नेताओं और अफसरों के दबाव के बीच सबको संतुष्ट करने की चुनौती भी है।

अजय मिश्रा का कहना है कि मौजूदा स्थिति में शहर को 60 से 70 टन एलएमओ की दरकार है, जबकि अभी मात्र 10 से 15 टन ही आपूर्ति हो पा रही है। मौजूदा समय में शहर की हालत बेहद खराब हैं। रोजाना 1200 के औसत से सिलिंडरों की आपूर्ति की जा रही है। इनमें एक हजार बड़े और 200 छोटे सिलिंडर हैं। जबकि, इन दिनों चार से पांच हजार बड़े सिलिंडरों की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सामान्य दिनों में भी इतनी ही आपूर्ति होती थी, जिसमें कुछ सप्लाई आसपास के जिलों में भी जाती थी। अभी सिर्फ चिकित्सकीय उपयोग के लिए ही ऑक्सीजन दी जा रही है। रोजाना इन्हीं 1200 सिलिंडरों को अस्पतालों, सीधे आने वाले लोगों को दिया जाता है। बड़ा सिलिंडर 18 से 20 घंटे और छोटा दो से ढाई घंटे चलता है। वह कहते हैं कि इस समय काफी दबाव है। अफसरों, नेताओं के अलावा आम जनता की जरूरतों को भी ध्यान में रखकर काम करना पड़ रहा है। हमसे जितना हो पा रहा है, वह कर रहे हैं। साथ ही सरकार से अनुरोध है कि वह एलएमओ की व्यवस्था कराए, जिससे संकट से मुक्ति मिले।

कोविड का यह स्ट्रेन बिना पकड़ में आए सीधे फेफड़ों में पहुंचकर उन्हें क्षतिग्रस्त करने लगता है।

कानपुर : कोरोना का एक नया रूप सामने आया है। कोविड का यह स्ट्रेन बिना पकड़ में आए सीधे फेफड़ों में पहुंचकर उन्हें क्षतिग्रस्त करने लगता है। रोगी की आरटीपीसीआर जांच निगेटिव आती है, इससे उसे नॉन कोविड मान लिया जाता है। हैलट में इस तरह के दो-चार नहीं, तीन सौ मरीज भर्ती हैं। इतनी संख्या में इस नए लक्षण वाले रोगी पहली बार चिह्नित किए गए हैं। हैलट के अलावा अन्य अस्पतालों में भी ऐसे रोगी मिल रहे हैं। हैलट इमरजेंसी में सांस फूलने का लक्षण लेकर ये रोगी आए थे। इन्हें न खांसी आ रही थी और न ही गले में संक्रमण था।

सांस फूलने के साथ इन्हें बुखार रहा है। इन रोगियों को हैलट के विभिन्न वार्डों में भर्ती कर दिया गया। रोगियों का ऑक्सीजन लेवल 90 प्रतिशत से जब एक-दो दिन में 40-50 हो गया तो रोगियों का एक्सरे और सीटी स्कैन कराया गया। फेफड़ों की हालत बहुत खराब निकली। अब इनकी स्थिति संभालनी मुश्किल पड़ रही है। निमोनिया में दी जाने वाली दवाएं खिलाई जा रही हैं, लेकिन वे असर नहीं दिखा रही हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल का कहना है कि यह स्थिति समझ में ही नहीं आ रही है। सभी की आरटीपीसीआर जांचें निगेटिव हैं।

किदवईनगर की 56 साल की महिला रोगी का ऑक्सीजन लेवल 50 होने पर उन्हें हैलट इमरजेंसी लाया गया। ऑक्सीजन लगाने के बाद भी लेवल में सुधार नहीं हुआ। कोरोना की जांच के लिए सैंपल भेजा गया। रिपोर्ट निगेटिव आई। दो दिन के अंदर रोगी को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ गई।

तिलकनगर के 76 साल के वृद्ध को अचानक बहुत तेज कमजोरी आई और सांस फूलने लगी। इसके अलावा कोई लक्षण नहीं था। ऑक्सीजन तेजी से गिरी। ऑक्सीजन सपोर्ट के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। सीटी स्कैन में फेफड़ों की स्थिति बहुत खराब निकली।

कानपुर : कोरोना महामारी के दौर में ऑक्सीजन सिलिंडर को लेकर जिलेभर में आपाधापी मची है। हर कोई प्राणवायु ऑक्सीजन का कम से कम एक सिलिंडर लेकर रख लेना चाहता है। जनपद के इकलौते ऑक्सीजन प्लांट को क्षमता के लिहाज से महज एक शिफ्ट में ही चलाया जा रहा है। जिससे सिलिंडर रिफिलिंग को रफ्तार नहीं मिल पा रही है।

रोजाना बड़ी संख्या में जरूरतमंद निराश हो रहे हैं। जिले में ऑक्सीजन सिलिंडर रिफिल करने का प्लांट मुरारी एयर प्रोडक्ट के नाम से सौंरा में साल 2014- 15 से संचालित है। इस प्लांट की रिफलिंग क्षमता फिलहाल 7000 क्यूबिक लीटर की है। यहां पर जमशेदपुर और राउरकेला से ऑक्सीजन आती है।इन जगह से आने वाली लिक्विड ऑक्सीजन को प्लांट में सिलिंडरो में रिफिल किया जाता है। लिक्विड को एयर में बदल करके ऑक्सीजन के सिलिंडर रिफिल किए जाते हैं। इस वक्त रोजाना  प्लांट की कार्यक्षमता छोटे और बड़े तकरीबन 600 सिलिंडर रिफिल करने की है।

जिसमें 400 बड़े और 200 छोटे सिलिंडर भरे जा सकते हैं। हालांकि ऐसा नहीं हो पा रहा है। मौजूदा समय में यह प्लांट प्रतिदिन औसतन चार से सवा चार सौ सिलिंडर दे पा रहा है। यही कारण है कि रोज बड़ी संख्या में इस प्लांट के बाहर आमजन की हताशा उजागर हो रही है।

फतेहपुर जिले के इकलौते एयर प्रोडक्ट प्लांट अभी तक रेलवे और इंडस्ट्रियल एरिया के सिलिंडर रिफिल करता रहा है। डेढ़ महीने पहले ऑक्सीजन प्लांट को मेडिकल सप्लाई का लाइसेंस हासिल हुआ है। इस प्लांट से जिले के सरकारी  और निजी अस्पतालों समेत कानपुर के भी नौ निजी अस्पताल को ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है।

जिले के इकलौते एयर प्लांट से 24 घंटे में 600 के आसपास सिलिंडर रिफिल किया जा सकते हैं। वित्तीय वर्ष 2014-15 में स्थापित हुई 7000 क्यूबिक लीटर की यूनिट का एक शिफ्ट में ही संचालन हो रहा है। पहले इस प्लांट में शाम 6:00 बजे तक काम होता था। बदले परिवेश में 2 घंटे ज्यादा काम हो रहा है।

ट्रक की टक्कर से खाई में पलटी बस

कानपुर :  यूपी के हरदोई जिले में बुधवार को भीषण सड़क हादसा हुआ। यहां ट्रक की टक्कर से बस खाई में पलट गई। हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। संडीला कोतवाली क्षेत्र के कस्बा चौकी अंतर्गत मोहल्ला मुल्लनटोला निवासी भाई जीतू बहन की चौथी लेने बस से रिश्तेदारों के साथ मैनपुरी गया था। वापस आते समय थाना बांगरमऊ के पास ट्रक ने बस में टक्कर मार दी। जिससे बस खाई में पलट गई और 28 यात्री घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल तीन लोगों की लखनऊ ले जाते समय संडीला के पास मौत हो गयी। जीतू पुत्र त्रिलोकी की बहन रीना की शादी 26 अप्रैल को हुई थी।

27 अप्रैल को अपने रिश्तेदारों के साथ बहन की चौथी लेने बस से ग्राम करहल मैनपुरी गया था। वापस आते समय हादसा हुआ। हादसे में नव विवाहिता के मामा नेकराम (45) पुत्र मिहीलाल निवासी ग्राम मीतो संडीला, जीजा कमलेश (48) पुत्र सुरेंद्र निवासी अन्नी खेड़ा रहीमाबाद लखनऊ, चचेरी बहन पूजा (27) पत्नी सरविन्द निवासी ग्राम मुसेला संडीला की मौत हुई है। कोतवाल सुरेश कुमार मिश्र ने बताया की शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

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