सिद्धार्थनगर: क्या लिखूं तेरे कसीदे तू खुद एक कहानी कार है। तू उस मानसिकता के लोगों को जवाब देता है। जो कहते थे कि शमी मतलब कुछ नही सार्दुल मतलब सब चार मैचों में बेंच पर बैठ कर पानी पिलाना फिर मौका मिलने पर नही कहूंगा।
मौका बनने पर दिखा दिया कि मैं वो शेर हूं जो अच्छे- अच्छे टीम को खा सकता हूं। और लोग मुझे हल्के में ले रहे हैं। मैं ज्यादा कुछ नही जानता बस इतना जानता हूं कि तेरे बिना इंडिया टीम की कहानी नही लिखा जा सकता था। मुझे वो दौर याद है जिस समय मैं मुरादाबाद के IFTM university में BSC कर रहा था
और आपका वलीमा पाकबड़ा के मशहूर होटल में था। हम भी उस वालीमे में शिरकत किए थे लेकिन बदकिस्मती की आप के साथ एक सेल्फी नही हो पाई इसका मलाल ता उमर रहेगा। मैं उस दौर में मुरादाबाद, अमरोहा, सम्भल, रामपुर, ठाकुरद्वारा, नूरपुर, और तमाम वहां के लोकल युवाओं के जबान पर दो ही लीजेंड का नाम था।
एक उस दौर का उभरता हुआ सितारा मो. शमी और दूसरा उभरा हुआ सितारा पीयूष चावला, तो मैं उस वक़्त के युवाओं को भी सलाम है जिंन्होने आपको अपना आइडियल माना था। मैं अल्लाह से दुआ करूँगा कि हर वो युवा कामयाब हो जिस लोगों ने आप को अपना आइडियल माना था। मो. शमी आप और भी आगे जाए यही मेरी तमन्ना है।