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कोरोना वायरस की वजह से नहीं निकलेगा 19 और 21 रमजान का जुलूस कमेटी ने किया ऐलान

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गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी नहीं सजेगा ताबूत घरों में गम मनाने की अपील

लखनऊ : मौला ए कायनात मुश्किल कुशा शेरे खुदा हजरत अली अ0स0 की याद में हर साल 19 और 21 रमजान को निकाले जाने वाले जुलूस इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से नहीं निकाले जाएंगे यह ऐलान जुलूस कमेटी की तरफ से किया गया है नजफ इमामबाड़ा के मुतवल्ली अबरार हुसैन ने बताया कि उन्हें पुलिस प्रशासन द्वारा नोटिस देकर कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण लागू किए गए रात्रि कर्फ्यू लॉकडाउन और धारा 144 की वजह से भीड़भाड़ वाले धार्मिक कार्यक्रमों पर पाबंदी है इसलिए किसी भी तरह का जुलूस न निकाला जाए और न ही ताबूत सजाया जाए।

अबरार हुसैन ने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए पिछले साल की तरह इस साल भी 21 और 19 रमजान का जुलूस नहीं निकाला जाएगा । उन्होंने लोगों से अपील की है कि वो कोरोना महामारी से बचने के लिए मोला ए कायनात की शहादत का गम अपने अपने घरों में मनाएं और कहीं भी किसी तरह की भीड़ न लगाएं। ज्ञात हो कि हजरत इमाम हुसैन के पिता हजरत अली अ0से0 को इराक की कूफा मस्जिद में 19 रमजान की सुबह इब्ने मुलजिम द्वारा जर्बत मार कर उन्हें घायल कर दिया गया था 2 दिन बाद 21 रमजान की सुबह हजरत अली शहीद हो गए थे उनकी याद में लखनऊ में हसन मिर्जा के परिवार की तरफ से पिछले डेढ़ सौ सालों से 19 और 21 रमजान का जुलूस निकाला जाता है ।

19 रमजान को सआदतगंज स्थित मस्जिद ए कूफ़ा से ग्लीम ताबूत निकाला जाता है जो बाजाजा स्थित मीसम ज़ैदी के घर पर जाता है जहां ताबूत की जियारत होती है उसके उपरांत 21 रमजान की सुबह नजफ इमामबाड़े से हजरत अली की शहादत के मौके पर ताबूत का जुलूस निकाला जाता था जो कर्बला तालकटोरा में दफन किया जाता था लेकिन यह दोनों जुलूस लगातार पिछले 2 वर्षों से नहीं निकाले जा रहे हैं हालांकि ऑल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव एवं प्रवक्ता मौलाना मिर्ज़ा यासूब अब्बास ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर रमजान के दोनों जुलूस निकालने की इजाजत दिए जाने के संबंध में पत्र भेजा था ।

मौलाना यासूब अब्बास द्वारा यह कहा गया था कि कोरोना महामारी में जब 5 राज्यों के चुनाव हो सकते हैं उत्तर प्रदेश में पंचायती चुनाव हो सकते हैं तो फिर हजरत अली की शहादत के मौके पर जुलूस क्यों नहीं निकाले जा सकते हैं हालांकि मौलाना यासूब अब्बास द्वारा भेजे गए पत्र पर सरकार की तरफ से अभी तक किसी भी तरह की इजाजत नहीं दी गई है। लगातार 2 वर्षों से 19 व 21 रमजान का जुलूस न निकलने की वजह से शिया समुदाय में काफी अफसोस देखने को मिला है लेकिन शिया समुदाय के लोगों का यह भी कहना है कि ग़म मनाने के लिए और जुलूस निकालने के लिए इंसानों का जिंदा रहना बहुत जरूरी है इसलिए इस महामारी के दौर में हम 1 साल और सब्र करके 2022 में उसी तरह से अपने मौला का ग़म बनाएंगे जैसे पहले मनाया करते थे।

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