मेदांता लखनऊ के सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स, पैरा-मेडिकल स्टाफ व अल्ट्रा-मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी के समन्वय से सफलतापूर्वक हुए लिवर ट्रांसप्लांट
लखनऊ : मेदांता अस्पताल लखनऊ ने अपने पहले दो लीवर प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किए हैं। प्रत्यारोपण मेदांता लीवर ट्रांसप्लांट इंस्टिट्यूट, लखनऊ के चेयरमैन डॉ ए एस सोइन के मार्गदर्शन में डॉ अमित रस्तोगी, डॉ प्रशांत भंगुई, डॉ रोहन चौधरी, हेपेटोबिलरी साइंसेज के निदेशक, डॉ अभय वर्मा, और एनेस्थेटिस्ट डॉ विजय वोहरा और डॉ सीके पांडे की कुशल सर्जन्स की टीम द्वारा किए गए।
मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए दो मरीज, पहले जो की व्यवसायी है फैज़ाबाद से और दूसरे मरीज़ शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक है लिवर फेलियर के चलते गंभीर रूप से बीमार थे। इन दोनों का ही मेदांता अस्पताल लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के तहत लिवर ट्रांसप्लांट हुआ। ट्रांसप्लांट के बाद दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं और शीघ्र ही अपना सामान्य जीवन व्यतीत करने लगेंगे।
डॉ सोइन ने बताया अब लखनऊ सही मायनों में विश्व स्तरीय लीवर ट्रांसप्लांट सेंटर बन चुका है। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही कि हमने वयस्क और बाल चिकित्सा लीवर ट्रांसप्लांट के अपने अनुभव के साथ मेदांता लखनऊ में लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम की शुरुआत की है। जैस दोनों मरीज लिवर फेलियर के क्रिटिकल मामले थे। वे कई बार अस्पताल में भर्ती हो चुके थे और ट्रांसप्लांट के बिना कुछ हफ्तों में ही उनके जीवन पर बड़ा खतरा मंडरा रहा था।
हेपेटोबिलरी साइंसेज के निदेशक, डॉ अभय वर्मा ने बताया हमने देखा कि पहले मरीज पिछले 3 वर्षों में सभी प्रकार के चिकित्सा उपचार ले चुके थे, उसके बावजूद उनका लिवर फेल कर चुका था। उनकी अच्छी तरह से जांच करने के बाद हमने उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। डोनर के रूप में उनके 22 वर्षीय बेटे ने अपने लीवर का 60% दान किया। ट्रांसप्लांट के अब लगभग एक माह पश्चात दोनों स्वस्थ हैं और सामन्य जीवन की तरफ अग्रसर हैं। डोनर अपनी सामान्य तरीके से अपनी पढ़ाई वापस शुरू कर चुके हैं व मरीज स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सामान्य तौर पर, लीवर डोनर एक महीने के भीतर और मरीज 2 महीने में अपना जीवन सामान्य तरीके से व्यतीत करने लगते हैं।
मेदांता लखनऊ में लिवर ट्रांसप्लांट कंसलटेंट एवं सर्जन डॉ रोहन चौधरी ने बताया दूसरे मरीज को लिवर की बीमारी के कारण बार-बार अस्पताल में भर्ती हो रहे थे। लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा उनकी बीमारी का कोई इलाज संभव नहीं था। उनके सबसे अच्छे दोस्त, ने उन्हें अपने लिवर का एक हिस्सा डोनेट कर जीवन का सबसे बेहतरीन उपहार दिया। लिवर ट्रांसप्लांट होने के 2 माह के भीतर ही डोनर और लिवर प्राप्तकर्ता के शरीर मे लिवर अपने वास्तविक आकार का आधे से अधिक हिस्सा बना लेता है।
डॉ सोइन ने बताया दोनों मरीजों की ट्रांसप्लांट सर्जरी में में लगभग 8-9 घंटे लगे। जबकि उनके डोनर्स की सर्जरी लगभग 6 घंटे चली सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, तकनीशियनों, नर्सों और एक अल्ट्रा मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी से लैस अच्छी तरह से समन्वित टीम की बदौलत सर्जरी सुचारू रूप से सफलतापूर्वक संपन्न हुई। हमारे यहां रोगियों के लिए वर्तमान सफलता दर वयस्कों में और बच्चों में उच्चतम है व डोनर्स के लिए पूरी तरह सुरक्षित ट्रांसप्लांट सर्जरी की जा रही है।
नया जीवन प्राप्त कर चुके पहले मरीज ने बताया मुझे पीलिया था और मेरे पेट में काफी हद तक पानी भर चुका था। मैं बड़ी मुश्किल से चल या खा पा रहा था। मैं अपने बेटे का आभारी हूं जिसने मुझे अपने लिवर का एक हिस्सा दिया। मैं मेदांता की ट्रांसप्लांट टीम का आजीवन आभारी रहूंगा जिन्होंने लखनऊ में ही इस जटिल प्रत्यारोपण सर्जरी कर मुझे नया जीवन दान दिया।
सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे दूसरे मरीज ने आभार व्यक्त करते हुए कहा मैं अपने ट्रांसप्लांट सर्जन और हेपेटोलॉजिस्ट को हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ उन्होंने मुझे सुरक्षित ट्रांसप्लांट के बारे में समझने में मदद की। आज सफल लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मैं स्वस्थ व सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा हूँ।