लखनऊ : लॉकडाउन के चलते किसी नवविवाहित जोड़े को हनीमून कैंसिल करना पड़ा तो किसी की पत्नी की विदाई नहीं हो सकी, मगर सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत को समझे बिना युवा जोड़े गिले-शिकवे करने लगे कई मामलों में बात तलाक तक जा पहुंची। 181 वन स्टॉप सेंटर, परिवार परामर्श समिति के आंकड़े यही बताते हैं। वहीं, पारिवारिक न्यायालय के वकीलों का भी कहना है कि लॉकडाउन के चलते रिश्तों में दरार गहरी हुई है
खास बात है कि इनमें 70-80 फीसदी मामले तो उन पति-पत्नियों के हैं, जिनकी शादी दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच हुई है
केस-1
मिलकर बनाया घूमने का प्लान, अब रिश्ता ही नहीं रखना
कानपुर रोड निवासी आर्किटेक्ट की शादी बंगलुरु के आर्किटेक्ट से फरवरी में हुई थी। हनीमून के लिए मालदीव के टिकट बुक थे। शादी के तुरंत बाद परिवार के किसी सदस्य की तबीयत बिगड़ी तो प्रोग्राम अप्रैल के पहले हफ्ते का तय हुआ सारी तैयारियां हो चुकी थीं कि लॉकडाउन लग गया। न जा पाने की खुन्नस में तकरार बढ़ती गई। 181 वन स्टाप सेंटर तक मामला आया कि वे आगे रिश्ता नहीं रखना चाहते।
केस-2
नोएडा में रह गया पति, पत्नी लखनऊ में
सॉफ्टवेयर इंजीनियर पति नोएडा में नौकरी करता है। शादी जनवरी में हुई थी। होली के बाद पत्नी को साथ लेकर जाना था। लॉकडाउन ने सारी योजना पर पानी फेर दिया। दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं कि वे किसी ओर से अफेयर में हैं। यही वजह है कि दूर रहकर खुश हैं दोनों मामलों में हो चुकी दहेज की वापसी
ये दो मामले महज बानगी हैं। 181 वन स्टॉप सेंटर के पास लॉकडाउन खत्म होने के बाद तलाक के 14 मामले ऐसे आए हैं, जिनकी शादी जनवरी से मार्च के बीच हुई है सेंटर की एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर अर्चना सिंह कहती हैं कि तीन मामलों में दहेज की वापसी तक हो चुकी है बाकी को एक साल पूरे होने का इंतजार है, जिसके बाद वे तलाक की अर्जी दाखिल करेंगे। इनमें से ही तीन मामलों में रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है।
विदाई न होने से बढ़ा झगड़ा, अफेयर का भेद भी खुला
परिवार परामर्श समिति इन दिनों तलाक के 11 नए मामलों पर काउंसलिंग कर रही है। इसमें छह शिकायतकर्ता नवविवाहित युगल हैं। काउंसलर स्वर्णिमा सिंह कहती हैं कि कहीं विदाई न होने से झगड़ा बढ़ा है तो कहीं पति का अफेयर सामने आ जाने से तलाक का फैसला लिया गया है।
नासमझी करने वालों में सभी पढ़े-लिखे
फैमिली कोर्ट की वकील कंचन भट्ट कहती हैं कि जुलाई से सितंबर तक में तलाक के मामलों में अचानक से वृद्धि हो गई।
70 फीसदी मामले नवविवाहित जोड़ों के हैं। विडंबना यह है कि नासमझी करने वालों पढ़े-लिखे युवा, अफसर, इंजीनियर जैसा वर्ग शामिल है।
फिलहाल जोर रिश्तों को संभालने पर है
सुरक्षा की महासचिव शालिनी माथुर कहती हैं कि कानूनन शादी के सालभर बाद ही तलाक फाइल किया जा सकता है। कोई भी हेल्पलाइन, कोई भी काउंसलर या वकील रिश्तों को संभालने पर जोर देता है। एक साल की प्रतीक्षा में कभी-कभी रिश्ते बच जाते हैं।