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अखिलेश यादव की मांग

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि यूपी सरकार को बताना चाहिए कि कोरोना काल में उन्होंने कितने लोगों के प्राइवेट अस्पतालों में इलाज का खर्च दिया। इस संबंध में सरकार को आंकड़े जनता के सामने रखने चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने बड़े जोर शोर से प्रचारित किया था कि वो कोरोना के प्राइवेट इलाज का खर्चा देगी। अब भाजपा सरकार बताए कि अभी तक जनता के कितने बिलों का भुगतान किया है। भाजपा सरकार जनता के सामने आँकड़े रखे साथ ही सरकार ब्लैक फंगस के भी मुफ़्त इलाज की तत्काल घोषणा करे।

इसके पहले अखिलेश यादव ने बुधवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल में करारी हार का बदला भाजपा निचले स्तर पर आकर लेने पर तुली है। यह संघीय ढांचे की मूल भावना और लोकतंत्र के खिलाफ है। एक छोटे मुद्दे को बेवजह प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर भाजपा ने अपनी किरकिरी कराई है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार का डबल इंजन 8 वर्षों से यार्ड में ही खड़ा है और टस से मस नहीं हुआ। विकास योजनाएं के बारे में कोई पूछने वाला नहीं। भाजपा सरकार अधिकारियों की शंटिग करती रहती है। एक अधिकारी दिल्ली से लखनऊ भेजे गए। उन्हें काम नहीं करने दिया गया। पश्चिम बंगाल में काम कर रहे अधिकारी को काम करने नहीं दिया जा रहा है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा बदले की भावना से प्रेरित होकर राज्यों के साथ जो व्यवहार कर रही है उसमें राज्यपालों की भूमिका विचारणीय है। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल अनावश्यक हस्तक्षेप करते रहते हैं जबकि यूपी में राज्यपाल की सिर्फ सलाहकार की भूमिका है।

दिल्ली में तैयार होगा ऑपरेशन यूपी का ब्लू प्रिंट

लखनऊ : भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष तीन दिन के यूपी दौरे के बाद बुधवार को दिल्ली लौट गए। इस दौरे में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर संगठन और सरकार के कई प्रमुख लोगों से एक साथ तथा अलग अलग बातचीत की। कुछ मंत्रियों की सुनी और उनकी क्षमता व योजना दृष्टि की थाह नापी। बैठकों में कोरोना में ऑक्सीजन व बेड की कमी और इस कारण बड़ी संख्या में हुई मौतों को लेकर गैरों के साथ अपनों (भाजपा के लोगों) की मुखर हुई नाराजगी की नब्ज टटोली गई। संतोष ने सरकार के प्रबंधन व तैयारियों के दावों की सच्चाई समझी, पंचायत चुनाव के भाजपा के पक्ष में अपेक्षित नतीजे न आने की वजहें जानने की कोशिश की। सरकार व संगठन की नब्ज पर हाथ रखकर बीमारियां समझीं और लौट गए। अब दिल्ली में ऑपरेशन यूपी 2022 का ब्लू प्रिंट तैयार होगा। इसमें पूरा जोर कोरोना महामारी से हुए नुकसान की भरपाई पर रहेगा।

इसके तहत मंत्रिमंडल में कुछ बदलाव के साथ विस्तार व अधिकारियों की चुनाव तक नए सिरे से तैनाती हो सकती है। इस ब्लू प्रिंट का प्रभाव प्रदेश में बदलाव के रूप में तो सामने जरूर आएगा, लेकिन इसके संगठन और सरकार के कुछ मंत्रियों की भूमिका बदलने तथा नौकरशाही के कुछ प्रमुख चेहरों की काट छांट तक ही सीमित रहने के आसार है। इसका मुख्य आधार पॉलिटिक्स ऑफ परफॉरमेंस’ व डैमेज कंट्रोल ही होगा। वहीं फिलहाल मुखिया परिवर्तन का संकेत कहीं नहीं है। प्रदेश की नौकरशाही को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं, सांसदों व विधायकों की शिकवा शिकायतें शुरू से ही मुखर होती रही हैं। पर, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भाजपा के ही लोगों का व्यवस्था को लेकर सार्वजनिक रूप से सवाल खड़े करना और उसी बीच पंचायत चुनाव के नतीजे भाजपा की उम्मीदों के अनुसार न आना, संघ से लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक की चिंता को बढ़ा दिया है।

भले ही संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और भाजपा के बीएल संतोष के प्रदेश  दौरे व लखनऊ प्रवास पूर्व निर्धारित थे, लेकिन दोनों ने अपने दौरे का एजेंडा बदलकर जिस तरह 2022 की चुनावी चुनौतियों के समाधान पर केंद्रित कर दिया उससे इस चिंता को समझा जा सकता है।  लगभग दो दशक बाद पूर्ण बहुमत पाकर और वह भी 1991 से ज्यादा विधायकों के साथ प्रदेश की सत्ता में आई भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तथा संघ किसी भी स्थिति में प्रदेश को खोना नहीं चाहता है। उसे पता है कि यूपी हारने का मतलब क्या होता है? संतोष के दौरे के एजेंडे से भी इसे समझा सकता है।

रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह की गिरफ्तारी पर रोक

 

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उन्नाव जिले के कोतवाली थाने में दर्ज मुकदमे में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक पुलिस द्वारा जांच पूरी करने के बाद दाखिल रिपोर्ट अथवा अग्रिम सुनवाई तक रहेगी। वहीं, सूर्य प्रताप सिंह की ओर से उनके अधिवक्ता ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह भविष्य में ट्वीट करते वक्त सावधानी बरतेंगे। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सूर्य प्रताप सिंह की याचिका पर दिया। याचिका में प्राथमिकी को चुनौती देकर रद्द करने के साथ याची की गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की गुजारिश की गई थी।

याची का कहना था कि उन्होंने 13 मई 2021 को एक ट्वीट किया था। इसमें गंगा में बहते शवों की तस्वीर थी। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि ट्वीट जनवरी 2014 के थे, जिसे उन्होंने हाल का बताकर नफरत फैलाने व तनाव पैदा करने के उद्देश्य से इस्तेमाल किया। याची की ओर से दलील दी गई कि उसे जैसे ही अहसास हुआ कि फोटोग्राफ का दुरुपयोग हो सकता है, उन्होंने तत्काल अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। साथ ही कहा गया कि इसी आरोप में वाराणसी के लंका थाने में भी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

याची के वकील ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 30 अप्रैल को की गई टिप्पणी का भी उल्लेख किया जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि रिपोर्टिंग करने अथवा अपनी शिकायत सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए किसी के खिलाफ एफआईआर नहीं की जा सकती। कोर्ट ने याची पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम राहत का आदेश पारित किया। साथ ही कोर्ट ने एफआईआर रद्द किए जा ने की मांग पर राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब तलब भी किया है।

 

एक और जिले को कोरोना कर्फ्यू से राहत

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कोरोना के कम होते मामलों को देखते हुए जिन जिलों में सक्रिय मामलों की संख्या 600 से कम हो गई थी वहां कोरोना कर्फ्यू से छूट दी गई थी। ताजा स्थिति के अनुसार झांसी जनपद में कुल एक्टिव केस की संख्या 600 से कम हो गई है। ऐसे में अब यहां भी सप्ताह में पांच दिन सुबह 7 बजे से सायं 7 बजे तक कोरोना कर्फ्यू से छूट दी जाएगी। साप्ताहिक व रात्रिकालीन बन्दी सहित अन्य सभी संबंधित नियम इन जिलों में लागू होंगे।

बता दें कि कोरोना महामारी से प्रदेश को सुरक्षित रखने की दिशा में लगातार किए जा रहे प्रयासों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। देश में सबसे ज्यादा कोविड टेस्ट करने वाले उत्तर प्रदेश में 30 अप्रैल के 03 लाख 10 हजार 783 मरीजों की पीक की स्थिति के सापेक्ष आज एक माह में 91.8 फीसदी की गिरावट हो गई है। वर्तमान में 25,546 कोरोना केस एक्टिव हैं। हमारी रिकवरी दर 97.4% हो गई है। ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के अनुरूप उत्तर प्रदेश की नीति के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश एक मात्र राज्य है जिसने 5 करोड़ से अधिक कोविड टेस्ट किये हैं।

बालाजीपुरम निवासी डॉ. संदीप जायसवाल को गोली

लखनऊ :  चिनहट के बालाजीपुरम निवासी डॉ. संदीप जायसवाल को गोली मारने वाले युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उनके पास से असलहा भी बरामद कर लिया है। पूछताछ में दोनों सगे भाइयों ने कुबूल किया है कि उनके बड़े भाई की तबियत खराब हो गई थी। इलाज के लिए हर्षित अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां गलत इलाज किया गया जिससे हालत बिगड़ गई। दो मई को कानपुर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां उनकी सात मई को मौत हो गई। जब गलत दवा देने की शिकायत की थी तो डॉक्टर ने धमकी दी थी। इसी बात से नाराज होकर उन्होंने डॉक्टर को गोली मारी थी।

एडीसीपी पूर्वी एसएम कासिम आब्दी ने बताया कि 25 मई को डॉ. संदीप जायसवाल पर जानलेवा हमला हुआ था। उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है। डॉ. संदीप का सर्वोदयनगर में हर्षित ट्रॉमा सेंटर के नाम से अस्पताल है। 25 मई की रात को उन पर अस्पताल से वापस आते समय घर केपास फार्च्यूनर सवार बदमाशों ने हमला करने वाले दो सगे भाई आमिर चौधरी व राशिद चौधरी को पुलिस ने मंगलवार देर रात देवा रोड से गिरफ्तार किया है। दोनों मूलरूप से मेरठ के पिकौर के रहने वाले हैं। लखनऊ के इंदिरानगर में रहकर इंटीरियर डिजाइनिंग का काम करते हैं। दोनों ने अपने भाई खालिद को अप्रैल में बीमार हालत में हर्षित अस्पताल में भर्ती कराया।

आरोप है कि डॉ. संदीप और उनके कर्मचारियों की लापरवाही के कारण खालिद की हालत ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद उन्हें दो मई को कानपुर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी सात मई को मौत हो गई। इलाज के दौरान कानपुर रोड स्थित अस्पताल के चिकित्सकों ने पुराना पर्चा मांगा था। जिसे देखकर दवाओं केबारे में आमिर और राशिद को बताया कि जो दवा चल रही थी, उसी के कारण हालत और खराब हुई है। मौत के बाद पूरा परिवार अंतिम संस्कार करने के लिए चला गया। हमलावरों ने डॉ. संदीप जायसवाल से इसकी शिकायत की। आरोप लगाया कि डॉक्टर ने इलाज में लापरवाही की जिससे उनकी मौत हो गई।

आरोपी आमिर व राशिद ने बताया कि इलाज के नाम पर ढाई लाख रुपये वसूले गए थे। कई बार गलत इलाज की शिकायत की गई लेकिन डॉक्टर अपनी और कर्मचारियों की गलतियों को मानने के बजाय धमकी देने लगा। वारदात की रात डॉक्टर से अस्पताल में भी बातचीत की थी। डॉक्टर नाराज होकर निकल गए। गुस्से में फार्च्यूनर से उनका पीछा किया। बालाजीपुरम कॉलोनी में पहुंचने के बाद ओवरटेक कर रोका। वहां पर इलाज के लिए बहस हुई। डॉक्टर ने कहासुनी के दौरान कहा कि तुम लोग जो चाहो कर लो। हम किसी ने डरने वाले नहीं हैं। इसके बाद डॉक्टर से हाथापाई होने लगी। नाराजगी में डॉक्टर को गोली मार दी। इन सबका प्रमाण मौके से सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को मिल गया है। प्रभारी निरीक्षक चिनहट धनंजय पांडेय के मुताबिक, आरोपियों के पास से वारदात में प्रयुक्त असलहा और फार्च्यूनर कार भी बरामद कर लिया गया है। बुधवार को पूछताछ के बाद दोनों को जेल भेज दिया है। इस वारदात में शामिल दो अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।

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