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भिखारी गैंग में शामिल मां-बेटे भेजे गए जेल,अपाहिज बनाने के बाद दिल्ली-मुंबई में बेच देते थे  

25 हजार में हुई थी खरीद-फरोख्त, सुरेश को बेचने वाला मुख्य आरोपी अभी भी फरार

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कानपुर। कानपुर में नौकरी का झांसा देकर बंधक बना सुरेश मांझी (30) को अंधा-अपाहिज कर भीख मंगवाने वाले राज नागर और उसकी मां को पुलिस ने मंगलवार देर शाम किदवई नगर से गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपियों को पुलिस ने बुधवार को जेल भेज दिया। वहीं,सुरेश को बेचने वाला मछरिया निवासी विजय अभी भी फरार है। पुलिस की तीन टीमें उसकी तलाश में लगाई गई हैं।
नौबस्ता निवासी सुरेश को छह महीने पहले मछरिया निवासी विजय ने नौकरी लगवाने का झांसा दिया था। उसको घर से ले गया था और एक घर में बंधक बना लिया था। पीट-पीटकर उसके हाथ-पैर तोड़ दिए थे। केमिकल डालकर अंधा कर दिया था। उसके बाद दिल्ली में (नागलोई) में ले जाकर बेच दिया था। वहां उससे भीख मंगवाते थे। तबीयत बिगड़ने पर उसको वापस कानपुर छोड़ दिया था। बीते शुक्रवार को मामला पुलिस के पास पहुंचा था। तब केस दर्ज किया गया था।
डीसीपी साउथ प्रमोद कुमार ने बुधवार को प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि सर्विलांस की मदद से बीते शुक्रवार  को किदवई नगर से राज नागर और उसकी मां आशा को गिरफ्तार कर लिया गया है। विजय ने सुरेश को इन्हीं दोनों के हाथों बेचा था। दोनों आरोपियों ने पूछताछ में पूरा मामला कबूल किया है और कई अहम खुलासे किए हैं। डीसीपी ने बताया कि,विजय और सुरेश मांझी पूर्व से परिचित है।
डीसीपी ने बताया कि सुरेश ने बताया था कि,विजय की बहन तारामती,जीजा राजेश ने 70 हजार में उसको बेचा गया था। जब आरोपियों से पूछताछ की गई, तो उन्होंने बताया कि सुरेश को उन्होंने 25 हजार रुपये में खरीदा था। ये रकम उन्होंने विजय को दी थी। यह भी खुलासा हुआ कि राज व आशा दिल्ली नहीं बल्कि किदवई नगर के ही रहने वाले हैं। ये दोनों दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर रहकर इसी तरह से लोगों से भीख मंगवाते हैं। वहीं सुरेश को बेचने वाला विजय अभी भी फरार है। पुलिस की तीन टीमें उसकी तलाश में लगाई गई हैं। डीसीपी ने बताया कि,पुलिस की टीम फिर से दिल्ली भेजी जाएगी ताकि गिरोह के बारे दिल्ली पुलिस से सहयोग लेकर और पुख्ता जानकारियां हासिल हो सके।

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