उरई जालौन । महिला चिकित्सक व स्टाफ नर्स की हठधर्मिता एवं लापरवाही ने नवजात के प्राण हर लिए वही जच्चा जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही है । उक्त आशय का प्रार्थना पत्र अजीतमल निवासी विकास शर्मा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी औरैया को देते हुए आरोप लगाया कि गत 15 अक्टूबर को अपनी पत्नी आरती को प्रसव पीड़ा होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अजीतमल भर्ती करवाया , उस समय ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर निशा एवं स्टाफ नर्स सुनीता सोनम ने नॉर्मल डिलीवरी होने की बात कह कर आश्वस्त किया। लेकिन जल्दी डिलीवरी कराने के प्रयास में गर्भवती के पेट पर इतना दबाव डाला उसका बच्चा जन्म लेने से पूर्व ही परलोक सिधार गया इस स्थिति को समझ उक्त तीनों में शीघ्रता करते हुए इस बेरहमी और बेतरतीब ढंग से ऑपरेशन किया (कुछ बात न लिखे जाने योग्य है) कि प्रसूता के प्राणों का संकट उत्पन्न हो गया । स्थिति नियंत्रण से बाहर होते देख डॉक्टर निशा एवं स्टाफ नर्स सुनीता सोनम के हाथ पांव फूल गए एवं ऑपरेशन किए जाने वाली जगह पर टांके लगाए बगैर प्रसूता एवं नवजात (मृत) को चिचोली (औरैया) चिकित्सालय रेफर कर दिया । चिचोली अस्पताल में चिकित्सकों ने नवजात को मृत घोषित कर प्रसूता की गंभीर हालत देख तत्काल इटावा रेफर कर दिया। जिला अस्पताल इटावा में चिकित्सकों ने प्रसूता की हालत देखी तो महिला चिकित्सक एवं स्टाफ नर्स की बर्बरता पर आश्चर्य युक्त आक्रोश व्यक्त किया व गंभीर हालत में महिला को मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। समाचार लिखे जाने तक महिला की हालत गंभीर बनी हुई है । उक्त संदर्भ में महिला के पति ने जिला चिकित्सा अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लापरवाह महिला चिकित्सक एवं स्टाफ नर्स के विरुद्ध जांच कर कार्यवाही की मांग की है । इस संदर्भ में अजीतमल चिकित्सा अधीक्षक से संपर्क किया गया लेकिन मीडिया को देख उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार करते हुए अपना चेहरा छुपा दिया है । दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि जान बचाने वाले एवं धरती का भगवान कहे जाने वाले चिकित्सक गैर जिम्मेदार एवं गैर संवेदनशील हो जाएंगे और अपने उत्तरदायित्व से पीठ मोडने व अपने कर्तव्य का पालन का निर्वहन न करने वाले हो जाएगें तो क्या होगा