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दिल्ली सरकार के वकील ही लड़ेंगे किसान आंदोलन का केस

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दिल्ली :  में एक बार फिर से उपराज्यपाल व चुनी सरकार आमने-सामने हैं। मसला किसानों आंदोलन से जुड़े केस की सुनवाई के लिए वकीलों के पैनल के गठन करने की है। उपराज्यपाल के इनकार के बाद शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाई जिसमें उपराज्यपाल के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया है। सीएम केजरीवाल का कहना है कि अब किसान आंदोलन का केस दिल्ली सराकार के वकील ही लड़ेंगे। दरअसल गुरुवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार की तरफ से गठित पैनल को खारिज कर दिया था। इसकी जगह दिल्ली पुलिस की ओर से सुझाए गए वकीलों के पैनल पर कैबिनेट की मुहर लगाने पर फैसला लेने को कहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बारे में शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई थी जिसमें उपराज्यपाल के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।

इससे पहले तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों पर दर्ज केस की सुनवाई के लिए केजरीवाल सरकार ने वकीलों का पैनल बनाया था। वहीं, दर्ज मामलों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस अपने वकीलों के पैनल की नियुक्त की। लेकिन दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इसके बाद सरकारी वकीलों का पैनल बनाकर दिल्ली के गृह मंत्री ने प्रस्ताव उप राज्यपाल के पास भेजा था।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के पैनल को मंजूरी नहीं दी है। इसकी जगह उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को कहा है कि दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को कैबिनेट मंजूरी दे।  एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली के गृहमंत्री के बीच बीते दिनों एक वर्चुअल बैठक हुई थी। इसमें उपराज्यपाल यह स्वीकारा था कि दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त किए गए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और बहुत काबिल हैं। दिल्ली सरकार के वकील अच्छे से केस लड़ रहे हैं। दिल्ली सरकार के वकीलों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है।

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