कृषि कानून के विरोध में किसानों द्वारा लगातार प्रदर्शन
रायबरेली: उत्तर प्रदेश में कृषि कानून के विरोध में धरना देने जा रहे पूर्व कांग्रेसी विधायक और उनके समर्थकों को प्रशासन ने नजरबंद कर दिया। पुलिस ने इन्हें लालगंज में नज़र बंद कर दिया था। कांग्रेस मुखिया के आह्वान पर कृषि कानूनों के विरोध में आयोजित आंदोलन में शामिल होने जा रहे थे। पूर्व विधायक अशोक सिंह और उनके समर्थकों को सरेनी पुलिस और प्रशासन ने घर से निकलने के बाद ही रोक लिया। अशोक सिंह अपने आवास से जैसे ही कुछ किलोमीटर आगे बढ़े मदन गांव चौराहे के पास खड़ी पुलिस प्रशासन ने उन्हें और उनके समर्थकों को रुकवा लिया। पुलिस ने उन्हें कहा कि धारा 144 लागू है। पूर्व विधायक के काफी कहने सुनने पर भी पुलिस वाले नहीं माने और उन्हें लालगंज स्थित डाक बंगले में लाकर नजरबंद कर दिया
गौरतलब है कि इस धरना प्रदर्शन में राजधानी के साथ-साथ आसपास के कई जिलों से कांग्रेसी नेताओं और पूर्व विधायक को शामिल होना था। इस धरना प्रदर्शन का मकसद किसान बिल पर सरकार को घेरने के साथ-साथ कांग्रेस यह संदेश भी देना चाहती है कि वह किसानों की सच्ची हितैषी है । केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान बिल के विरोध में किसानों द्वारा लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है। जिससे सरकार यह बिल वापस ले ले या तो फिर उसमें कुछ संशोधन कर दिए जाएं। किसानों की इसी मांग पर कांग्रेस द्वारा आयोजित राजधानी लखनऊ में धरना प्रदर्शन के लिए रायबरेली से भी कई नेता लखनऊ के लिए जा रहे थे। लेकिन रायबरेली पुलिस ने उनको सीमा पार होने से पहले ही रोक लिया और उनको हिरासत में लेकर गेस्ट हाउस में बैठा दिया पुलिस हिरासत में लिए गए।
इन्हीं बिलों के विरोध में कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं ने पूरे देश में विरोध का आह्वान किया हुआ है।इसी आह्वान पर पूर्व विधायक अशोक सिंह अपने समर्थको के साथ लखनऊ जा रहे थे। हालांकि, पहले से सतर्क पुलिस प्रशासन ने घर से बाहर कुछ किलोमीटर आते ही उन्हें रोक लिया। कांग्रेस नेता अशोक सिंह ने बताया कि वह कृषि बिलों के विरोध में धरना प्रदर्शन के लिए लखनऊ जा रहे थे।तभी रास्ते में पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। उन्होंने ने कहा कि क़ानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है, हर तरफ अपराधी बिना किसी डर के चोरी, लूट, हत्या, डकैती आदि घटनाओं को अंजाम दे रहे, किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध नहीं हो पा रही, दुकानदारों द्वारा मनमाने ढंग से यूरिया बेच रहे। जिससे किसानों को परेशानी हो रही, प्रशासन यूरिया की कालाबजारी रोकने में पूरी तरह विफल हो चुकी है।