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लखनऊ कालेजों ने लिया बड़ा फैसला अब किस्तों में फीस जमा कर सकेंगे छात्र

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लखनऊ : विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कई ऐसे कालेज हैं, जहां स्नातक कक्षाओं में तय सीटों से बहुत कम आवेदन आए हैं। किसी तरह सीटें भर जाएं, इसलिए कालेजों ने अभ्यर्थियों को आफर देना शुरू कर दिया है।कोई किस्तों में फीस जमा करने के लिए कहा रहा है तो किसी ने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए एक हजार रुपये आर्थिक मदद की घोषणा कर दी। पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दाखिले का भी आफर दिया गया है।

कालेजों में प्रवेश की एक रिपोर्ट

शशि भूषण बालिका विद्यालय डिग्री कालेज : यहां बीए में 500 और बीकाम रेगुलर की 60 सीटों पर अब तक सिर्फ 50 एडमिशन हो पाए हैं इसलिए कालेज की प्राचार्या डा. अंजुम इस्लाम ने आफर दिया है कि जिन अभ्यर्थियों को फीस की दिक्कत है, वे तीन भागों में इसे जमा कर सकते हैं। कालेज में छात्राओं को निश्शुल्क कम्प्यूटर क्लास की भी सुविधा दी जाएगी। एपी सेन मेमोरियल गर्ल्स डिग्री कालेज: बीए में 475 सीटों पर करीब 200 आवेदन फार्म जमा हुए। इनमें से 150 ने फीस जमा की यानी 300 से ज्यादा सीटें खाली हैं। बीकाम सेल्फ फाइनेंस में 80 सीटें हैं। इसमें दो भाग में फीस जमा करने की सुविधा दी गई है।मुमताज डिग्री कालेज में आर्थिक मदद: कालेज ने बीए के आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए एक हजार रुपये की आर्थिक मदद की सुविधा दी है। प्रिंसिपल डा. अब्दुल रहमान ने बताया कि बीए में 650 सीटों पर सिर्फ 200 प्रवेश हो पाए वहीं, बीएससी में 240 सीटों पर 25 और बीकाम में 60 सीटों पर 13 छात्रों ने प्रवेश लिया। जिन्हें फीस जमा करने की दिक्कत है, वह तीन किस्तों में जमा कर सकते हैं।

इसके अलावा 20 शिक्षकों ने तीन-तीन हजार रुपये की मदद के साथ एक फंड तैयार किया है। इससे भी जरूरतमंद छात्रों की मदद की जा रही है। प्रिंसिपल ने प्रति छात्र ली जाने वाली 140 रुपये फारवर्डिंग फीस भी माफ कर दी है खाली सीटों का प्रमुख कारणः डीएवी कालेज के प्राचार्य डा. अंजनी कुमार मिश्रा बताते हैं कि बहुत से कालेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं। इसका प्रमुख कारण प्राइवेट कालेजों का अधिक खुलना और इंटर के बाद छात्रों की रुचि स्नातक करने की जगह इंजीनियरिंग, एमबीए, पैरा मेडिकल जैसे कोर्स में जाना है।क्रीमी लेयर वाले छात्र इन कोर्सों में चले जाते हैं। बचे हुए स्नातक में आते हैं। वहीं, पहले ग्रामीण क्षेत्र से छात्र-छात्राएं शहर आते थे। अब वहीं पर कई प्राइवेट कालेज खुल गए हैं।

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