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संविधान दिवस के सुअवसर पर संविधान निर्माता बाबा साहब को किया गया याद।

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उन्नाव : जहां पूरे क्षेत्र में संविधान दिवस मनाया गया वहीं कस्बे के मोहल्ला जोतपुर में भी संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर को याद करते हुए बड़े ही धूमधाम के साथ संविधान दिवस मनाया गया जिसमें अंगाना ने दीप प्रज्ज्वलित कर व बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पत्रकार मनीष गुप्ता ने जन संबोधन के दौरान बाबा साहब के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में प्रचलित भेदभाव से बाबा साहब अत्यंत दुखी थे।छात्र जीवन से ही उन्हें भेदभाव और अस्पृश्यता का सामना करना पड़ा। अपनी जाति के दूसरे बच्चों की अपेक्षा अंबेडकर को अच्छे स्कूल में पढ़ाई का मौका जरूर मिला लेकिन वहां उन्हें और उनके दलित दोस्तों को कक्षा के अंदर बैठने तक की इजाजत नहीं थी।

ऊंची जात का चपरासी उन लोगों को ऊंचाई से पानी पिलाता था और जब वह न रहता तो उन्हें और उनके दोस्तों को प्यासा रहना पड़ता। यही वजह है कि पढ़ाई करने के बाद स्वदेश लौटकर उन्होंने इन सबके खिलाफ आंदोलन और अभियान चलाए। दलितों और दबे कुचलों को न्याय दिलवाने में वह आगे-आगे रहे। देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई उपाधियां मिली थी। आजाद सुजीत धानुक ने कहा कि हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है। दरअसल यही वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। 26 नवंबर,1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी,1950 को लागू किया गया था। जिसे गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विशाल धानुक,अंशु गौतम,ऋषभ धानुक,विजय सोनकर,शिवम् धानुक, वरुण,दीपक,संजीव, सुरेंद्र ,रामप्रकाश ,अशोक,रज्जू, आदि लोग मौजूद रहे।

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