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दाण्डी मार्च वर्ष गांठ पर निकाली गयी सद्भावना यात्रा

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बाराबंकी : बापू ने दांडी की नींव पर आजाद भारत का स्वप्न देखा। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के दम पर सविनय अवज्ञा के मंत्र से अंग्रेजों की सत्ता को उखाड़ फेंका। यह बात गाँधी भवन में दांडी मार्च की 91वीं वर्षगाँठ पर गांधीवादी राजनाथ शर्मा ने कही। शुक्रवार को दांडी मार्च की वर्षगाँठ पर गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट के तत्वावधान मे सरदार पटेल प्रतिमा से महात्मा गाँधी प्रतिमा तक सद्भावना पदयात्रा निकाली गई। इस दौरान सरदार पटेल और महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। यात्रा का नेतृत्व कर रहे गांधीवादी राजनाथ शर्मा ने बताया कि देश में एकता, अखंडता और समानता के लिए सद्भावना यात्रा निकाली गई। उन्होंने कहा है कि यह वर्ष महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यों का महत्वपूर्ण वर्ष है।

 

इस वर्ष बाराबंकी से देश के प्रमुख राज्यों की राजधानियों तक खादी, स्वदेशी और स्वावलम्बन पर यात्रा निकाली जा रही है। जिसकी शुरुआत 19 मार्च से बाराबंकी में आचार्य जे.बी. कृपलानी की जयंती से होगी। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित ने कहा कि 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा की शुरुआत की थी। यह यात्रा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नमक सत्याग्रह की शुरुआत थी। जिसे सविनय अवज्ञा आंदोलन भी कहा जाता है। दांडी मार्च के शुरु होने से पहले सरदार पटेल को ब्रितानिया हुकूमत ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जिसके बाद तत्कालीन वायसराय को गाँधी जी ने पत्र लिखकर सरदार पटेल की गिरफ्तारी का विरोध किया। यह यात्रा 25 दिन तक जारी रही। इस मौके पर प्रमुख रूप से समाजसेवी अशोक शुक्ला, विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, सत्यवान वर्मा, मो. तौफिक अहमद, मनोज पाठक, नीरज दूबे, राममनोहर, मो. शमीम अहमद सहित कई लोग मौजूद रहे।

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