
लखनऊ : भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने बसपा के ब्राह्मण सम्मेलनों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इन सम्मेलनों की अगुवाई करने वाले सतीश चंद्र मिश्रा खुद बसपा सुप्रीमो मायावती के बराबर में नहीं बैठ सकते। यह सभी ने चुनावी मंचों पर देखा है। ऐसे में वह ब्राह्मणों को बसपा में क्या सम्मान दिलाएंगे। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव अब साइकिल लेकर निकले हैं। कोरोना महामारी में तो बस घर में छिपे बैठे ट्वीट करते रहे, जबकि लोगों को मदद की दरकार थी। लोगों की मदद भाजपा ने की। वाजपेयी ने लखनऊ में कहा कि आज बसपा व सभी विपक्षी दल ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं पर इससे पहले किसी ने उन्हें याद नहीं किया। याद करें जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है।
मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि कारसेवकों पर इसलिए गोलियां चलवाई कि ऐसा न करने से एक वर्ग विशेष नाराज हो जाता। मायावती ने सहारनपुर चुनावी रैली में भी कहा था कि मुस्लिमों एक हो जाओ। इन सब में ब्राह्मण कहां थे। अब सब ड्रामेबाजी कर रहे हैं। यह पूरी तरह गलत है कि भाजपा सरकार में ब्राह्मणों पर अत्याचार हुआ और वे नाराज हैं। यह चुनावी स्टंट ही तो है कि खुद को समाजवादी विचारधारा का बताने वाले आज लोहिया को छोड़कर भगवान परशुराम की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों पर विरोध की स्थिति यह है कि पहले जो आंदोलन 10-12 लोगों के हाथ में था, अब वह एक ही व्यक्ति के हाथ में रह गया है। इसका कोई असर चुनाव पर आने वाला नहीं है। दरअसल, विपक्षी दलों के पास मुद्दे नहीं है। चाहे कानून-व्यवस्था हो या विकास, सभी पर काम हुआ। कोरोना महामारी की दूसरी लहर इस कदर अप्रत्याशित थी पर इसे नियंत्रित किया गया। हवाई जहाज तक से ऑक्सीजन मंगवाई गई। जनता यह सब जानती है।