खीरों रायबरेली : शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व पर भीतरगाँव के ग्रामीण भक्तों द्वारा गाँव के ही देविहई माता जी के मन्दिर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया । कथा की छठवीं रात में कथा सुनने के लिए बड़ी तादात में महिला-पुरुष भक्त उपस्थित हुए । मथुरा वृन्दावन के कथावाचक शिवकुमार शास्त्री ने भक्तों को सुन्दर संगीतमय कथा सुनाकर भावविभोर कर दिया
शिवकुमार शास्त्री ने भक्तों को बताया कि श्री गर्गाचार्य द्वारा भगवान श्रीकृष्ण व बलराम का नामकरण किया गया । श्रीकृष्ण का अर्थ है कि जो प्रत्येक जीव के चित्त और वृत्ति को शुद्ध करदे वही श्रीकृष्ण है । मन रूपी बाल्टी शरीर रूपी कुँए में गुरुज्ञान रूपी रस्सी के सहारे बंधी रहती है । जिसे गुरुज्ञान मिल जाता है वह मन रूपी बाल्टी से शरीर रूपी कुँए से मुक्ति रूपी जल निकाल लेता है । भगवान को प्रसन्न करने के लिए किसी धन की आवश्यकता नहीं होती । उसके लिए केवल प्रेम रूपी धन से की जरूरत होती है । प्रेम का उल्लेख करते हुए उन्होंने संगीत के रूप में मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने सुनाकर भक्तों को भावविभोर कर दिया । इसी तरह देर रात तक कथावाचन का क्रम चलता रहा और भक्त भक्ति और ज्ञान गंगा के संगम में डुबकी लगाते रहे
छठवें दिन की कथा में शास्त्री जी ने भक्तों को श्रीकृष्ण द्वारा विभिन्न राक्षसों के वध, माखनचोरी, रासलीला और गोवर्धन लीला आदि सुन्दर कथाएँ सुनाई गई । इस मौके पर रंगनाथ मिश्रा, रज्जन मिश्रा, कन्हैयालाल मिश्रा, मोहम्मद नन्हकऊ, मोहम्मद आज़ाद, मोहम्मद नसीम, हरिओम मिश्रा, रज्जन मिश्रा चक्की वाले, रवि विश्वकर्मा, आनन्द तिवारी, रमेशसाँई, गुड्डू मिश्रा, रिंकेश मिश्रा, शुभम मिश्रा, सर्वेशसिंह, शिवराम सिंह आदि सहित बड़ी संख्या में समिति के पदाधिकारी व ग्रामीण महिला-पुरुष भक्त मौजूद थे ।