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समाज की एकजुटता ही समाज का उत्थान: आचार्य विमर्श सागर

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फतेहपुर बाराबंकी :  फतेहपुर स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य विमर्श सागर के संघ प्रवास के तीसरे दिन बुधवार को भावलिंगी सन्त श्रमणाचार्य विमर्श सागर ने प्रवचन में सम्बोधित करते हुए कहा मानव जब भी किसी से मिले तो मुस्कराकर मिलना और वाणी में मिठास का होना नितांत आवश्यक है। अगर परिवार में धन सम्पदा कम है तो चिंता का विषय नहीं है। किंतु अगर आपस में प्यार सौहार्द नहीं है तो परिवार का नुकसान अधिक होगा। मन मंदिर मे निरंतर शांति की अलख जगाते रहिये, जिससे हमारे परिवार व समाज को बेहतर दशा-दिशा मिल सके जिसकी जिम्मेदारी हम सभी को उठानी होगी।

 

घर मे भी अगर आपस मे प्यार हो तो घर भी मंदिर बन जाता है। इसी कड़ी मे अपनी बात दोहराते हुए कहा कि परिवार में आप जब एक दूसरे से मुस्करा कर मिलते है। तो प्यार बढ़ता है। प्यार बढ़ने से परिवार की एकता बनती है और जब एकता आती है तो धन सम्पदा अपने आप से आती है। हमेशा अपना व्यवहार मधुर रक्खो। धैर्य हमेशा बनाये रखो जीवन मे विचलित न हो। हमेशा मुसीबत में भी मुस्कराते रहो। परेशानी स्वतः आसानी का रुप धारण कर लेंगी। वहीं जैन समाज के अनुयायियों ने गुरु बन्दना के साथ आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन, पूजा आरती की गई। शाम को भजन कीर्तन के साथ संध्या वंदन आरती जयघोष के साथ सम्पन्न हुई। इस मौके पर टीनू जैन, रिषभ जैन, सुनील जैन, आलोक जैन, पंकज जैन, तन्नू जैन आदि अनेक जैन बन्धु मौजूद रहे।

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