लखनऊ: इस्लाम सिर्फ इबादत या अक़ीदे का नाम नहीं है इस्लाम मे अपने मानने वालों को उनकी जिंदगी के हर मामले में रहनुमाई फरमाइए क्या हमें खानी है क्या हमें इस्तेमाल करनी है यह तमाम चीज इस्लाम के दायरे में होनी चाहिए जो अशिया हम इस्तेमाल करते हैं या जो गोश्त (मीट) हम खाते हैं
हराम है या हलाल है या जो चीज हम इस्तेमाल कर रहे हैं वह हलाल है या हराम है यह सब बातें हमें इस्लाम की जानकारी होनी चाहिए जो उलेमा है वह हलाल सर्टिफिकेट देते हैं कि मुसलमान को क्या चीज खानी है और क्या इस्तेमाल करना है बहुत सी जगह ऐसी है जहां पोर्क इस्तेमाल होता है इसलिए हमें यह सब देखना है कि क्या मजहबी नजर से यह हराम है या हलाल है
यही वजह है हिंदुस्तान के अंदर जो एक्सपोर्ट के एतबार से गोश्त ( मीट) है बाहर जो एक्सपोर्ट किया जाता है जैसे सऊदी हो या गल्फ हो वहां उसके लिए हिंदुस्तान से जो मार्केटिंग की चीज जा रही है वह सब चीज हलाल हो तभी कबूल किया जाता है अब यह बात सामने आई है जहां पर हलाल सर्टिफिकेशन में या किसी भी चीज में हलाल हो हराम को बताने में पाबंदी लगाई जा रही है
लगता है बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट में और इकोनॉमी में नुकसान होगा यह हमारे मुल्क की इकोनॉमी के लिए और मुसलमान के लिए बेहतर नहीं है