लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती अभी सत्ता में नहीं हैं।, मगर उनकी प्रतिमाएं लगाने का काम वैसे ही जारी है, जैसे बसपा सरकार में था। बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र का निर्माण वर्ष 2005 में किया गया था। इसी क्रम में 2012 में सत्ता से विदाई के बाद हर चुनाव में मायावती सरकार पर मूर्ति प्रेम को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। अब 2022 के चुनाव से पहले एक बार फिर मायावती की मूर्तियों से प्रेम को लेकर एक मामला सामने आया है।
पार्टी प्रमुख मायावती अपनी प्रतिमाओं को लखनऊ में स्थित बहुजन समाज प्रेरणा केन्द्र में स्थापित कर रही है। लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर बसपा सरकार मायावती की प्रतिमाएं लगाने का काम चल रहा है। मूर्तियां स्थापित करने के लिए आधार तैयार हो चुके हैैं और बुधवार शाम को तीन संगमरमर की ये प्रतिमाएं बुधवार को खुले में आने के बाद चर्चा में आ गईं। हाथ में बैग पकड़े मायावती प्रतिमाओं को लगाने का काम कई से चल रहा था। लेकिन जब पूर्ण निर्मित मूर्तियों को लगाने के लिए प्रेरणा स्थल पर लाया गया तो लोगों बसपा की मूर्ती प्रेम से एक बार फिर रूबरू हुए।
इन प्रतिमाओं को लगाने के लिए चार पिलर पर ढांचा तैयार किया गया है। जहां काले पत्थर लगाए गए हैं। ढांचे का स्वरूप गोमतीनगर में डॉ. भीमराव आंबेडकर स्थल की तरह है। यहां ऊपर से कवर ढांचे में ही मायावती की प्रतिमाएं लगी हैं। इस ढांचे के बीच में किसकी प्रतिमा लगेगी, यह अभी पता नहीं है, लेकिन जानकार बताते हैं कि वहां बड़े आकार की प्रतिमा लगेगी। शाम को तेज बारिश के कारण तीन प्रतिमाएं ही लग पाईं।
बसपा सरकार में जब मायावती की प्रतिमाएं लगी थीं तो विपक्ष ने इसे लेकर उन पर निशाना साधा था। तब आरोप लगा था कि जीवित रहते हुए प्रतिमाएं लगवाई जा रही हैं। आंबेडकर स्मारक की भीतरी सड़क पर दलित महापुरुषों की क्रमवार लगी प्रतिमाओं में पहले नंबर पर संगमरमर की प्रतिमा मायावती की है।
वहीं बसपा के नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ये मूर्तियां नए सिरे से नहीं लगाई जा रहीं, बल्कि इन मूर्तियों का रेनोवेट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले जहां पर मूर्तियाँ लगी थी, वहां पर बारिश और तेज धुप की वजह से मूर्ति के संगमरमर को नुकसान हो रहा था। लिहाजा उस जगह से हटाकर दूसरी जगह लगवाया जा रहा है। इसमें कुछ भी नया निर्माण नहीं किया जा रहा है।