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संकेतों को समझकर करें नवजात की देखभाल

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बहराइच : एक शिशु अपने देखभाल करने वालों से अपनी बात को तरह- तरह के संकेत देकर यह बताने की कोशिश करता है कि वह क्या चाहता है। माता पिता उन संकेतों को पहचानकर उसी के अनुरूप जब बच्चे की देखभाल करते हैं , उसे ही उत्तरदायी देखभाल कहा जाता है I उक्त बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तेजवापुर में आयोजित एक दिवसीय आशा प्रशिक्षण के दौरान अधीक्षक डॉ0 अभिषेक अग्निहोत्री ने कही I प्रशिक्षण का आयोजन आगा खान फाउंडेशन और बर्नार्ड वैन लीर फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया। जिसके तहत पेरेंट्स कोचिंग इन फ़र्स्ट1000 कार्यक्रम के तहत उत्तरदायी देखभाल प्रशिक्षण में आशाओं को प्रशिक्षित किया गया

डॉ अग्निहोत्री ने बताया कि शुरुआती उम्र में बच्चे को जैसा वातावरण और अनुभव मिलते है वैसा ही उसके भविष्य का निर्माण होता है I यदि बच्चे को प्यार दुलार और अपनों का साथ मिला है तो वह सुरक्षा का अनुभव करेगा और समाज को भी उसी नजरिये से देखेगा परन्तु यदि उसने गुस्सा, झगड़ा और दुत्कार देखा है या महसूस किया है तो बड़ा होकर लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करेगा। उन्होंने बताया यदि शुरुआती उम्र में बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य और पोषण मिलेगा तो वह सवस्थ रहेगा लंबी उम्र जीएगा । और एक अच्छा भाई, एक अच्छा बेटा, एक अच्छा सहकर्मी और एक अच्छा नागरिक बनेगा I

प्रशिक्षण देते हुए आगा खान फाउंडेशन के ब्लॉक समन्वयक नीरज शुक्ला ने कहा जीवन के प्रथम 1000 दिन बच्चे का दिमाग बहुत तेजी से विकसित होता है इस बचपन काल में हर क्षण दस लाख से भी ज्यादा दिमागी तार जुड़ते हैं I इसलिए ये बचपन काल बच्चों का भविष्य संवारने और उसे एक स्वस्थ जीवन देने का बेहतरीन मौका होता है इसमें बच्चे सीखने, समझने व स्वस्थ तरीके से विकसित होने और फिर समाज में पूरी क्षमताओं के साथ योगदान करने के योग्य बनने की क्षमता विकसित करता है I विकास की इस कड़ी में माता पिता की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि माता पिता और बच्चों की देखभाल करने वाले अन्य लोग बच्चों को पोषण, प्रोत्साहन और सुरक्षा का माहौल देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिनके माध्यम से बच्चों के मस्तिष्क का स्वस्थ विकास होता है प्रशिक्षण के दौरान सहयोगी प्रशिक्षक प्रदीप मिश्रा ने उत्तरदायी देखभाल पर विस्तार से चर्चा की I

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