दिल्ली : दूध एवं रसोई गैस के दाम बढ़ने पर चाय बेचने वालों ने चाय के दाम तो बढ़ाए नहीं है, लेकिन अधिकतर चाय बेचने वालों ने कप छोटा करना शुरू कर दिया, जबकि कुछ चाय बेचने वालों ने चाय की मात्रा कम कर दी है। उनका कहना है कि चाय के दाम बढ़ाने की स्थिति में उनके सामने कड़की में आटा गीला होने वाली कहावत हकीकत बन जाएगी। वजह यह कि उनके पास निम्न मध्यम व निम्न आय वर्ग के लोग ही अमूमन चाय पीने आते हैं। कोरोना की मार से वह पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे है। ऐसे में चाय की कीमत बढ़ाने का असर दुकानदारी पर पड़ेगा। इसकी जगह चाय की मात्रा कम करने से कामधंधा चलाया जा सकता है।
जंतर मंतर पर चाय बेचने वाले सुरेश के अनुसार दूध व गैस के दाम बढ़ने पर उन्होंने कप छोटा कर दिया है। इस छोटे कप में पहले वाले कप से करीब 20 प्रतिशत कम चाय देनी पड़ेगी। वहीं पटेल चौक पर चाय की दुकान चला रहे गगन ने बताया कि उन्होंने चाय की मात्रा कम कर दी है। अब वह पूरा कम भरकर चाय नहीं दे रहे है। इन दोनों चाय वालों ने बताया कि उनके इस कदम से लोग नाराज है। वे कप छोटा एवं चाय की मात्रा करने का विरोध कर रहे है। वह कहते है कि दूध एवं गैस के दाम इतने नहीं बढ़े है कि वे चाय देने में कटौती करें।
मंदिर मार्ग पर चाय बेचने वाले मोहन कहते है कि वह मदर डेयरी का दूध उपयोग करते है अभी मदर डेयरी ने दाम नहीं बढ़ाए है। उसकी ओर से दाम बढ़ाने पर वह भी चाय के दाम बढ़ा देंगे, वहीं पंचकुईया रोड स्थित चाय बेच रहे इशाक ने बताया कि उन्होंने हाल ही में दुकान शुरू की है और वह चाय के दाम बढ़ा देंगे तो उनको काम शुरू होने से पहले ही बंद हो जाएगा। उनके समक्ष सबसे पहले अपनी दुकान जमाने की चुनौती है। इस कारण उन्होंने चाय के दाम नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है।
पहाड़गंज में चाय की दुकान चला रहे मुन्ना कहते है कि कोरोना महामारी के कारण काम धंधा कम चल रहा है। इस कारण उन्होंने ग्राहकों के कम होने की आशंका के मद्देनजर चाय के दाम नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है। जबकि आरके आश्रम मेट्रो स्टेशन के पास चाय बेच रहे मोहम्मद निजामुद्दीन ने बताया कि ग्राहक तो है नहीं, फिर दाम बढ़ाकर क्या करेंगे। वह रोजाना पांच किलोग्राम दूध लेकर आते है, लेकिन दो-ढाई किलोग्राम ही दूध की खपत हो पाती है। हालांकि इन दोनों दुकानदारों ने कम में चाय की मात्रा 10 प्रतिशत कम कर दी है।