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हाईकोर्ट में जिला प्रशासन ने दिया बचकाना जवाब

अयोध्या में त्रिलोदकी गंगा नाम की नदी नहीं

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प्रशासन ने ही चलाया था त्रिलोदी गंगा को बचाने का अभियान

अयोध्या। जनपद की पौराणिक त्रिलोदकी गंगा के अस्तित्व को बचाने की कवायद में जुटे जनपदवासियों को प्रशासन ने जोर का झटका दिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में बचकाना जवाब दाखिल करते हुए प्रशासन ने कहा है कि अयोध्या में त्रिलोदकी गंगा नाम से कोई नदी ही नहीं है। यह हाल तब है जब नगर निगम आए दिन त्रिलोदकी गंगा के जीर्णोद्धार के लिए सोशल मीडिया पर लोगों को जागरूक करता रहता है। साथ ही करोड़ों रुपये सौंदर्यीकरण पर खर्च करने का दावा भी करता है। प्रशासन का जवाब सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर ताने कसे हैं। कुछ दिन पहले ही सोहावल तहसील क्षेत्र के गौरा ब्रह्मनान गांव के पास तमसा और त्रिलोदकी गंगा के संगम स्थल के पास अयोध्या की तीसरी नदी के रूप में इसका जीर्णोद्धार हुआ था। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भूमिपूजन करने के लिए भारी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। इतना ही नहीं निवर्तमान जिलाधिकारी अनुज कुमार झा और सीडीओ के नेतृत्व में कराए गए सर्वे के दौरान यह नदी लगभग 45 किलोमीटर लंबी मिली थी, लेकिन शुक्रवार को हाईकोर्ट में दाखिल किए गए जवाब के बाद प्रशासन की छीछालेदर होने लगी है।
गौरतलब है कि थाना पूराकलंदर के गंजा निवासी दुर्गा प्रसाद यादव ने एनजीटी में अपनी बात रखते हुए कहा था कि सरयू से निकलकर सरयू में ही मिलने वाली 42 किमी की नदी का अस्तित्व आज खतरे में है। ग्राम सभा गंजा, हांसापुर, चांदपुर हरिवंश पूरे हुसेन खाँ, जनौरा देहात आदि के लोगों की जमीनें जिला प्रशासन द्वारा श्री राम एयरपोर्ट के लिये अधिग्रहित की गई। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण में पूर्व से स्थित त्रिलोदकी गंगा (बाहा) को तहस-नहस करने का कार्य किया जा रहा है। त्रिलोदकी में अमृत बटलर्स प्रा.लि. (कोको कोला) डाभासेमर चांदपुर हरवंश इलाहाबाद रोड अयोध्या का जहरीला पानी इसी त्रिलोकी बाहा मे छोड़ दिया गया है। इसके बाद से ही मामले ने तूल पकड़ा था।

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