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देश का ऊर्जा क्षेत्र निजी घरानों के चंगुल में अनाप शनाप खर्च कर बिना सी0ए0जी0 आडिट कराये निजी घराने हो रहे मालामाल, खामियाजा भुगत रही है जनता-उपभोक्ता परिषद् 

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लखनऊ  : पूरे देश में सभी राज्यों के ऊर्जा सेक्टर काफी बड़े घाटे में हैं। आये दिन बिजली दरें बढ़ रही हैं, फिर भी घाटा कम नहीं हो रहा है। उपभोक्ता परिषद ने जब इस पर गहन अध्ययन किया तो सबसे बड़ा इसका एक कारण यह भी सामने आया कि पूरे देश में चाहे वह वितरण के क्षेत्र में हो, उत्पादन के क्षेत्र में हो या ट्रांसमीशन के क्षेत्र में हो। जिस प्रकार से देश के चुनिन्दा कुछ बड़े निजी घराने ऊर्जा क्षेत्र में कब्जा कर रहे हैं, बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लगा रहे हैं। अनाप शनाप खर्च कर बिजली महंगी दरों पर बेच रहे हैं और उसका खामियाजा जनता भुगत रही है। लेकिन जब उनके वित्तीय मानकों की सी0ए0जी0 (महालेखाकार) आडिट कराने की बात आती है तो वह विरोध पर उतर आते हैं और कानून न होने की वजह से वह बच निकलते हैं और बड़ा फायदा कमाते हैं।

 

उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज इस पूरे मामले पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र भेजा है, जिसके माध्यम से उपभोक्ता परिषद ने यह मांग उठायी है। जब तक देश के निजी घरानों जो ऊर्जा क्षेत्र में भारी निवेश कर रहे हैं, उनके प्रोजेक्टों /उत्पादन गृहों के वित्तीय मानकों की अनिवार्य रूप से सी0ए0जी0 आडिट कराये जाने हेतु भारत सरकार द्वारा नया कानून नहीं बनाया जाता तब तक निजी घराने मनमानी करते रहेंगे और अपनी कैपिटल कास्ट को मनमाने तरीके से बढ़ाकर उसका भार देश व प्रदेश की जनता पर डालते रहेंगे।

 

यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकारी क्षेत्र में ऊर्जा निगमों की आडिट होती है, लेकिन निजी घराने अपनी आडिट नहीं कराते और अपने द्वारा ही निजी आडिटर के माध्यम से आडिट कराकर अपने अनाप शनाप खर्चे को सत्यापित करा लेते हैं और अंततः उसका भार जनता पर पड़ता है। उपभोक्ता परिषद ने मा0 प्रधानमंत्री जी से यह भी मांग उठायी है कि लोकसभा में विद्युत अधिनियम 2003 में कुछ संशोधन लम्बित है। यदि उसमें निजी क्षेत्र के लिये अनिवार्य रूप से सी0ए0जी0 आडिट का प्राविधान करा दिया जाता है तो निश्चित ही ऊर्जा सेक्टर में बड़ा सुधार सामने दिखेगा।

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