कानपुर : चकेरी स्थित 700 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले की तहरीर में जमीन को फर्जी दस्तावेजों से खरीद फरोख्त न कहते हुए केवल धोखाधड़ी से जोड़ा गया है। ऐसा करने से आरोपितों के खिलाफ जालसाजी के आरोप की धाराएं नहीं लगीं। आरोपित की गिरफ्तारी के बाद जमानत से लेकर सजा तक हर मामले में राह अब मुश्किल नहीं होगी।
कानपुर विकास प्राधिकरण के अमीन प्रदीप कुमार की ओर से सोमवार को थाना चकेरी में सरकारी जमीन को बेचे जाने के इस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। केडीए की तहरीर में केवल यह कहा गया है कि जमीन को धोखाधड़ी करके दूसरों को बेच दिया गया, जिसमें विश्वकर्मा सहकारी आवास समिति का सचिव रामलखन वर्मा को नामजद किया गया है। तहरीर की भाषा के हिसाब से ही पुलिस ने आरोपित के खिलाफ आइपीसी की धारा 419,420 में मुकदमा दर्ज किया। दोनों धाराएं धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़ीं हैं।
जबकि शिकायतकर्ता शिवेंद्र सेंगर ने अपने शिकायती पत्र में साफ कहा था कि भूमाफिया ने भू अभिलेखों में छेड़छाड़ करते हुए जमीन बेची है। सरकारी जमीन को सोसायटी की जमीन बताते हुए लोगों को जमीनें बेची गईं। इससे साफ है कि जमीनों को बेचे जाने के लिए जालसाजी भी की गई। मगर,केडीए की तहरीर में जालसाजी के आरोपों को किनारे किया गया।
डीआईजी का कहना है कि,पुलिस ने केडीए की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया है। जांच के दौरान अगर जालसाजी की पुष्टि होती है तो आरोपित के खिलाफ धाराएं बढ़ा दी जाएंगी। कोई नया नाम भी सामने आएगा तो उसे भी आरोपित बनाएंगे।