
बहिश्त ए ज़हरा इमाम बारगाह में मरहूम फ़राज़ रज़ा के इसाले सवाब की मजलिस संपन्न
मौत के जायके के लिए माद्दी जबान की नही बल्कि विलायत ए अली की जरूरत होती है।
लखनऊ। इमामबाड़ा बहिश्त ए जहरा कुमेंदान की बगिया कब्रिस्तान पजावा रोड ठाकुरगंज में मरहूम फ़राज़ रज़ा इब्ने ताहिर रज़ा के इसाले सवाब की एक मजलिस को मौलाना सैय्यद मोहम्मद अली रिज़वी ने बयान किया। मौलाना ने कुराने पाक की सूर ए ताहा की तिलावत कर उसके मफूम को समझाते हुए कहा की अल्लाह ने इंसान को पैदा किया तो उसको आंख, कान नाक,हाथ,पैर, के साथ ही एक ज़ुबान भी अता करदी मौलाना ने कहा ज़ुबान सिर्फ बोलने के लिए ही नहीं होती है अगर बोलने के लिए होती तो खुदा गूंगे को ज़ुबान अता करता। इंसान जब बोलता है तो जबान ही ऐसी चीज़ है जो इंसान की हकीकत को बयान कर देती है।अपने बयान को आगे बढ़ाते हुए मौलाना ने कहा ज़बान खाने का तो ज़ायका बता देती है मगर एक ज़ायका ऐसा है जिसको ज़ुबान भी नही बता सकती। अल्लाह ने कुरआन पाक में कहा है की हर शख्स को मौत का मज़ा चखना है।अब इसका ज़ायका ज़ुबान तो नही बता सकती।मौत के लिए ज़बाने माद्दी की ज़रूरत नही है।बल्कि इसका ज़ायका उसे मिलेगा जिसके दिल में विलायत ए अली होगी।इस जायके को इमाम हसनअ.के शहजादे हज़रत कासिम ने अपने चचा इमाम हुसैन अ.को बताया की हमारे लिए मौत का ज़ायका शहद से ज्यादा शीरी है।
मौलाना ने कहाकी की यह बहिश्त ए जहरा इमाम बारगाह कभी उजड़ा दयार था अब यहां हुसैन और हुसैनी का जिक्र होता है।आज इंसान कर्बला कब्रिस्तान और इमाम बरगाहो को बेच कर खा रहा है।लेकिन अल्लाह वक्फ खोर को इसी जबान की वजह से मोमिन से मुर्तद बना देता है। मौलाना ने हज़रत इमाम हुसैन के पुत्र अली अकबर की शहादत का दर्दनाक मंज़र बयान किया जिसे सुन कर अजादार फफक कर रो पड़े ।इस मौके पर इमाम बारगाह बहिश्ते जहरा में भारी तादाद में अजादार शामिल हुए।