सेवानिवृत्त 62 वर्षीय महिला को शब्दों को पहचानने में परेशानी महसूस होने लगी। विचारों को व्यक्तकरने की उसकी क्षमता भी धीरे-धीरे कम होने लगी थी। वह अब पहले से कहीं अधिक चुप रहने लगी थी और लोगों से मिलना-जुलना भी बंद कर दिया था। उसे लिखने में भी दिक्कतें पेश आने लगी थीं।
जब वह बात करती तो उसे अपनी बात पूरी करने में लंबा वक्तलगने लगा था। कुछ लोगों ने उससे कहा कि उसके शब्द मुंह में रह जाते हैं। सही तरीके से न बोल पाने के कारण उसे खीझ महसूस होने लगी थी और इसकी वजह से गहरे अवसाद में रहने लगी थी।
उसके परिवार में डिमेंशिया का कोई हिस्ट्री नहीं रही, लेकिन वह इस समस्या से पीडि़त हो गई थी। परिवारवालों और दोस्तों ने उसकी समस्या पर ध्यान दिया और उसे इलाज के लिए न्यूरोलॉजिस्ट के पास लाए। दो साल तक इलाज चलने के बाद धीरे-धीरे उसकी स्थिति में सुधार आया और वह स्वस्थ हो गई।
हममें से अधिकांश लोगों में भूलने की समस्या उम्र के साथ-साथ बढ़ती जाती है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के कम से कम आधे से अधिक लोगों का कहना है कि अपनी युवावस्था की तुलना में अब वे चीजें ज्यादा भूलने लगे हैं। उन्हें वृद्धावस्था का अनुभव होने लगता है, जैसे वे चीजों को रखकर भूल जाते हैं
या लोगों के नाम उन्हें याद रखने में परेशानी होती है। भूलने की यह समस्या उम्र बढऩे के कारण हो रही हो, यह जरूरी नहीं, क्योंकि आप वृद्धावस्था के दौरान पर्याप्त दिमागी कसरत नहीं करते हैं। इसलिए, दिमाग और शरीर दोनों को सक्रिय बनाए रखने वाली गतिविधियों में हिस्सा लेने से विस्मृति को कम किया जा सकता है।
अफसोस की बात है, कि कई लोग विस्मृति को अल्जाइमर्स का शुरुआती लक्षण मानते हैं। शुक्र है, उपरोक्तवर्णित लक्षण याददाश्त या अल्जाइमर्स जैसी कोई गंभीर परेशानी से जुड़े हों, यह जरूरी नहीं। ये अन्य गंभीर समस्याओं जैसे स्यूडोडिमेंशिया, बुद्धि संबंधी विकार या डिमेंशिया के भी लक्षण हो सकते हैं।
याददाश्त संबंधी समस्याएं स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं के कारण हो सकता है, जिसका उपचार किया जा सकता है। उदारण के लिए, दवाओं के साइड इफेक्ट्स, विटामिन बी12 की कमी, शराब पीने की पुरानी लत, ब्रेन में ट्यूमर या इंफेक्शन या ब्रेन में ब्लड क्लॉटिंग याददाश्त जाने या डिमेंशिया के कारण हो सकते हैं।
थायरॉइड, किडनी या लिवर से जुड़ी कुछ परेशानियां भी याददाश्त जाने के कारण हो सकते हैं। डॉक्टर को जितनी जल्दी हो सके इन बीमारियों का इलाज शुरू कर देना चाहिए।
डिमेंशिया के कारण सोचने की क्षमता, स्मृति और तार्किक क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्तिअपने रोजमर्रा के कामों को करने में भी अक्षम हो जाता है। डिमेंशिया खुद में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि अल्जाइमर्स या ऐसी ही बीमारियों के कारण होने वाले लक्षणों का समूह है। डिमेंशिया से पीडि़त व्यक्तिकी मानसिक क्षमता विभिन्न तरीकों से प्रभावित हो जाती है।
डिमेंशिया को रोकने के उपाय
यदि आपको या किसी और को याददाश्त से जुड़ी कोई गंभीर समस्या महसूस होती है तो अपने डॉक्टर से बात करें। वे आपकी समस्या का उपचार कर सकते हैं या फिर किसी न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकते हैं। जो लोग डिमेंशिया से हैं पीडि़त हैं
उन्हें समस्या को आगे बढऩे से रोकने के लिए पहले से ही कदम उठाने चाहिए।इसके तहत रक्तचाप को नियंत्रित करना, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज के उच्च स्तर को नियंत्रित करना और उसका इलाज करना और धूम्रपान से परहेज करने जैसे उपाय शामिल हैं।
परिवार के सदस्य और दोस्त डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों में उनके रोजमर्रा के कार्यों को व्यवस्थित करके, शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रखकर और लोगों से मेलजोल बढ़ाकर उनकी मदद कर सकते हैं।
डिमेंशिया के मरीजों को उनके जीवन से जुड़ी जानकारियां जैसे दिन या तारीख, कहां रहते हैं, और घर या दुनिया में क्या-क्या घटनाएं हो रही हैं उससे अवगत कराते रहना चाहिए।