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पराली जलाने से बढ़ सकती है प्रदूषण की समस्या,प्रशासन बना मूकदर्शक।

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उन्नाव : खेतों में पराली जलाने को लेकर मची हाय तोबा के बीच रोक नहीं लग पा रही है आए दिन धान काटने के बाद से खेतों में किसानों द्वारा पराली जलाने का काम हो रहा है किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली को लेकर शिकायतों के बाद भी प्रशासन पूरी तरह से मौन बना हुआ है। ज्ञात हो कि फसल के खेतों में कटाई के बाद बचने वाले अवशेषों को पराली के नाम से जाना जाता है पराली जलाने से उठने वाले धुएं के कारण प्रदूषण के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में तकलीफ आंखों में जलन आदि की शिकायतें होने लगती हैं जिसको लेकर काफी उठापटक के बाद सरकार ने इस पर सख्ती से कदम उठाए थे परंतु हाय तोबा के चलते सरकार को अपने कदमों को पीछे हटाना पड़ा। पराली जलाने पर किसानों के ऊपर दर्ज मुकदमे कहीं-कहीं सरकारों द्वारा वापस लेने से पराली जलाने को लेकर मन में व्याप्त भय समाप्त हो चुका है फिर भी प्रशासन पराली न जले इसके लिए प्रयासरत रहता है।

स्थानीय स्तर पर पुलिस व तहसील के लेखपाल ब्लॉक के अधिकारी आदि की जिम्मेदारी पराली न जले इस बात को लेकर रहती है परंतु सूत्र बताते हैं कि चुनाव को सन्निकट मान सरकार ज्यादा कुछ ठोस कदम उठाना नहीं चाहती नहीं किसानों का कोप भाजन बनना चाहती है जिससे अधिकारी भी सुस्त है। वैसे पराली जलाने की घटनाएं तो हर जगह पर होती रहती है लेकिन इससे असोहा क्षेत्र भी अछूता नहीं है। असोहा क्षेत्र के धान बहुल इलाकों में बड़े पैमाने पर रात में पराली जलाने का काम हो रहा है। कई स्थानों पर तो रोड के किनारे पराली जलाई गई जिसकी सूचना भी पुलिस को दी गई परंतु कोई ठोस कार्रवाई या एक्शन न लेने से पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं जिसके कारण वातावरण दूषित तो हो ही रहा है और दिल्ली की तरह क्षेत्र में भी आसमान में धुंध छाई रहती है। चंद लोगों के लाभ के लिए आम जनमानस के स्वास्थ्य से खिलवाड़ अच्छा नहीं होगा यह आम नागरिकों का मानना है।

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