रायबरेली: पूरे क्षेत्र में भाई-बहन के स्नेह का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन धूमधाम के साथ मनाया गया। क्षेत्र में जगह-जगह पर राखी एवं मिठाइयों की दुकानें सजी रही। एक दिन पूर्व से ही इन दुकानों पर काफी संख्या में भीड़ देखने को मिली।
सभी बहनों अपने भाइयो की कलाई पर स्नेह रूपी रेशम के धागे कि राखी बांधकर ईश्वर से अपने भाई की रक्षा की प्रार्थना किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह त्यौहार पुरातन काल से चला आ रहा है पवित्र त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार कब शुरू हुआ
इसके बारे में विस्तृत जानकारी किसी को नहीं है, लेकिन पुराण में वर्णन मिलता है कि जब देव और दानवों में युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे।
उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। इतिहास के अनुसार माना जाए तो कृष्ण और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है, जिसमे शिशुपाल के वध के पश्चात श्रीकृष्ण की उंगली घायल हो गई थी, श्री कृष्ण की घायल उंगली को द्रौपदी ने अपनी साड़ी मे से एक टुकड़ा बाँध दिया था, और इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया था।