कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक केंद्र और राज्य सरकार के सामने डटे रहे भारतीय किसान यूनियन का रुख अब नरम होता दिख रहा है। बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने किसानों और अपने कार्यकर्ताओं को सलाह दी है कि छोटी छोटी बातों पर धरना-प्रदर्शन ना करें और जहां भी जरूरी लगे जिला प्रशासन के साथ बातचीत करके मुद्दों को सुलझाएं। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी गठबंधन के लिए वोट की अपील कर चुके नरेश टिकैत ने यह भी कहा कि लोग भारतीय जनता पार्टी के प्रति झुकाव रखते हैं और वह जिसे चाहें वोट दे सकते हैं।
नरेश टिकैत ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा, किसान यूनियन और अपने पदाधिकारियों से हम कहते हैं कि बिना किसी वजह धरना-प्रदर्शन मत करो, समय खराब मत करो, कुछ भी बात नहीं है। मिल बैठकर जिला प्रशासन से जो बात हो करो, नाकी कहीं भी छोटी-छोटी बातों पर प्रदर्शन, रोड जाम करना। हम भी ध्यान देंगे। एक अनुशासन की बात हमें महसूस हुई। किसान यूनियन पर जो आरोप लगे कि इनमें अनुशासन की कमी है। हम भी देखेंगे। अनुशासन के बिना कुछ नहीं हो सकते। जो कुछ भी बात होगी। बातचीत के जरिए हल होगा, कहीं भी टकराव की स्थिति ना हो। बहुत बड़ा संगठन है। हम भी चाहते हैं कि जनता को कहीं मोहरा बनाकर इस्तेमाल करें।
अपनी मांगों को लेकर अब किसान यूनियन आंदोलन नहीं करेगी यह पूछे जाने पर नरेश टिकैत ने कहा, जो छोटी बात है, उस पर बड़ा आंदोलन करना। किसानों की ताकत खर्च करना, समय बर्बाद करना। हम इस पर ध्यान देंगे कि बातचीत के जरिए जो समाधान हो। किसानों की छोटी ही तो बात है, कोई बड़ी बात थोड़ी है। सरकार जो मान ले बात तो कोई मुश्किल नहीं, बिजली-विजली की है, फसलों की है कहीं। एक साल आंदोलन के बाद सरकार ने बात मानी? यह पूछने पर नरेश टिकैत ने कहा, चलो वह तो केंद्र की बात थी पूरे देश का आंदोलन था।हम ना दुखी ना खुश: टिकैत नरेश टिकैत ने किसान आंदोलन के बाजवूद 4 राज्यों में बीजेपी सरकार बनने पर कहा, लोग बीजेपी की तरफ झुकाव रखते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं। यह उनकी उच्छा है कि किसे अपना वोट देना चाहते हैं, दे सकते हैं। इस पर हम ना तो खुश हैं ना दुखी। यह आजाद देश है। गौरतलब है कि नरेश टिकेत ने विधानसभा चुनाव के दौरान सपा गठबंधन के दो उम्मीदवारों को सिंबल देते हुए उनके लिए वोट की अपील कर दी थी। उनके भाई और किसान आंदोलन का चेहरा रहे राकेश टिकैत भी सपा गठबंधन को जितवाने की मौन अपील करते रहे। उन्होंने खुलकर बीजेपी का विरोध किया था।