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समय पर जांच व नियमित उपचार से मिलती टीबी से मुक्ति : जिला क्षय रोग अधिकारी

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कन्नौज। क्षय रोग यानी ट्यूबरक्लोसिस में लापरवाही नुकसानदेह है। समय पर जांच और नियमित उपचार से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। यह बताते हैं टीबी को मात देने वाले टीबी चैम्पियन सचिन कुमार। सचिन बताते हैं कि उनको भी इस रोग ने चपेट में ले लिया था लेकिन वह डरे नहीं और नियमित अपना उपचार कराया। इलाज के दौरान एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जिस दिन वह दवा लेना भूले हों। नतीजतन अब स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
सचिन ने बताया कि वर्ष 2020 में उन्हें हल्का बुखार, खांसी, लगातार वजन घटाने की समस्या हुई। तकलीफ बढ़ने पर मैंने स्वास्थ्य केंद्र तिर्वा जाकर चिकित्सक से परामर्श लिया फिर जांच कराई। जांच रिपोर्ट में मैं टीबी संक्रमित निकला। इसके बाद मैंने नियमित रूप से पौष्टिक आहार, समय-समय पर चिकित्सक से परामर्श व स्वास्थ्य केंद्र से मिलने वाली दवाई का लगातार सेवन कर आसानी से 6 माह में इस रोग से मुक्ति पा ली। इलाज के दौरान मुझे निक्षय पोषण योजना के तहत तीन हजार रुपए की आर्थिक मदद भी मिली। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं और टीबी चैंपियन के रूप में टीबी रोगियों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता हूं।
उमर्दा ब्लाक के ग्राम मझरेठा के रहने वाले 35 वर्षीय सचिन राजपूत बताते हैं कि पेशे से तिर्वा में ढाबा चलाते हैं। फिर भी समय-समय पर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ गांवों में घूमकर अथवा होटल में आने वाले ग्राहकों या किसी अन्य में टी.बी.के लक्षण नजर आते हैं। तो उसे जांच व इलाज के लिए प्रेरित कर उनसे अपने अनुभव साझा कर जागरूक करने का प्रयास करता हूं। इससे मुझे अच्छा लगता है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ केपी त्रिपाठी ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जो बैक्टीरिया के कारण फैलती है। टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छीकने से, टीबी के कीटाणु सांस के जरिए दूसरों को संक्रमित करते हैं। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। सबसे प्रमुख फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन नाखून और बालों को छोड़कर यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।
उन्होंने बताया कि टीबी रोग में नियमित दवाई और पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी होता है। इलाज में लापरवाही बढ़ी समस्या का कारण बनती है। जो आगे चलकर जानलेवा भी हो सकती है।
जिला समन्वयक अखिलेश यादव ने बताया कि जिले में वर्तमान में 1807 टीबी मरीज पंजीकृत है। इसमें 92 मरीज एमडीआर है। वहीं वर्तमान में जिले में 28 टीबी चैम्पियन हैं। सभी टीबी चैम्पियन टीबी रोग को मात देकर लोगों को इस बीमारी से बचाने का फैसला किया है।
क्या है टीबी चैम्पियन
जिला क्षय रोग अधिकारी के मुताबिक टीबी को हराने वाले को टीबी चैंपियन का दर्जा दिया जाता है। टीबी चैम्पियन समाज में लोगों व अन्य मरीजों रोग के प्रति जागरूक कर अपने अनुभव साझा कर उन्हें नियमित उपचार के लिए प्रेरित करने का काम करते हैं। विभाग उनकी इच्छा अनुसार उनसे सहयोग भी लेता है।
लक्षण दिखें तो कराएं जांच
लगातार दो हफ्ते से खांसी, बलगम में खून,रात में बुखार के साथ पसीना, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर टीबी जांच निःशुल्क करवा सकते हैं।

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