दिल्ली : लोकसभा में शुक्रवार को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़ी रिपोर्ट पेश की गई उनपर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप है बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने उनपर आरोप लगाया था जांच में महुआ दोषी पाई गईं उनकी सांसदी चली गई है तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता चली गई है एथिक्स कमेटी की जांच में वह दोषी पाई गईं
शुक्रवार को लोकसभा में रिपोर्ट पेश की गई संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर एक्शन के लिए मोशन मूव किया था महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप था.बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ पर आरोप लगाया था टीएमसी सांसद ने इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था उन्होंने मानहानि का केस भी दर्ज करायाथा
महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा में प्रस्ताव पास हुआ इससे पहले सदन में चर्चा हुई ओम बिरला ने कहा, हम यहां न्याय नहीं चर्चा कर रहे हैं. ये सदन न्यायलय की तरह काम नहीं कर रहा. मैं नियम के तहत बात कर रहा हूं मेरा अधिकार नहीं, सभा का अधिकार है सभा का अधिकार नहीं होता तो अब तक मैं फैसला सुना देता अधीर रंजन ने कहा, कोई हमारे साथ रहे या ना रहे हमारे स्पीकर साथ हैं वो सही निर्णय लेंगे और हमे सुनेंगे
किसने क्या कहा
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, मुझे 31 साल वकालत करते हुए हो गए. कई बार जल्दी में वकालत करनी पड़ती है. पहली बार किसी कागज़ को जाने बिना बहस करनी पड़ रही है. आसमान नहीं गिर जाता अगर हमें 3 दिन दे दिए जाते. जिस पर आरोप लगता है उस व्यक्ति को उसकी बात रखने का पूरा अधिकार है. प्रह्लाद जोशी ने कहा, सोमनाथ चटर्जी के समय में 10 लोगों को बर्खास्त किया गया था. उस समय सोमनाथ चटर्जी ने कहा था जिस सदस्य पर आरोप लगे थे उन्हें बोलने का अधिकार नहीं है
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ये पीड़ादायक है, लेकिन कई बार सदन को अपने नियमों के लिए उचित फैसला लेना पड़ता है. पूरा देश ऊंच संसदीय परंपराओं के लिए हमारी तरफ देखता है पिछले 75 साल में हमारा लोकतंत्र परिपक्व हुआ है उन्होंने कहा, हमारी जनता को कल्याण के लिए इस सदन में चर्चा जरूरी होती है ओम बिरला ने कहा, सदन की ऊंच मर्यादा और लोकतांत्रिक मूल्य से कोई समझौता नहीं इन सिद्धांतों की रक्षा के लिए इनका निर्वहन करना पड़ता है हमारे व्यवहार पर संदेह न हो ऐसा काम करना होता है हम सब यहां पर जिस बात पर विचार करने जा रहे उसपर सहानुभूति के साथ विचार करना होता है
बता दें कि निशिकांत दुबे की शिकायत को लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की एथिक्स कमेटी को भेजा था. एथिक्स कमिटी को आरोपों की जांच का अधिकार होता है. यह कमिटी सांसदों के आचार, व्यवहार, आचरण पर नजर रखती है. कोई भी व्यक्ति या सांसद किसी सांसद के खिलाफ इस कमिटी को सबूतों के साथ लिखित में शिकायत दे सकता है
15 सदस्यों वाली लोकसभा की एथिक्स कमिटी के अध्यक्ष बीजेपी सांसद विनोद सोनकर हैं. कमिटी के सामने जिसके खिलाफ आरोप लगाया जाता है उस सांसद को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया जाता है. साथ ही आरोप लगाने वाले सांसद को भी सबूत देने के लिए कमिटी के सामने बुलाया जाता है