सोनभद्र : उपजिलाधिकारी ओबरा रमेश कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को स्थानीय विकास खण्ड के सभाकक्ष में खंड स्तरीय वन अधिकार समिति के सदस्यों को कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया गया। यह कार्यशाला अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 एवं संशोधित नियम 2012 के तहत कार्रवाई के संबंध में आयोजित की गई थी। बैठक में तहसीलदार सुनील कुमार, खण्ड विकास अधिकारी सुनील सिंह,वन विभाग के एसडीओ जेपी सिंह,एडीओ पंचायत अजय सिंह,ग्राम पंचायत सचिव,लेखपाल, ग्राम स्तरीय समिति के सदस्य व अध्यक्ष सहित वन विभाग के रेंजर विशेष रूप से उपस्थित थे।
इस दौरान उपजिलाधिकारी ने अधिकारियों से कहा कि वे पुराने निरस्त प्रकरणों की समीक्षा कर लें। वर्ष 2008 एवं 2012 में यह अभियान चलाया गया था। इससे संबंधित सही जानकारी भेजे व निरस्त होने के प्रमुख कारणों को भी जानकारी में शामिल करके भेजें। तथा नए प्रकरणों में वन अधिकार पत्र दिया जा सकता है। व्यक्तिगत के साथ सामुदायिक पट्टे के संबंध में की जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में प्रशिक्षण कार्यशाला में विस्तार से जानकारी दी गई।प्रशिक्षण कार्यशाला में बताया गया कि इस अधिनियम के तहत अ.ज.जा वर्ग के सदस्य जो 13 दिसंबर 2005 के पूर्व से वन में निवास करते हो या जीविका की वास्तविक आवश्यकता की पूर्ति के लिए वन पर आश्रित हो तथा अन्य परंपरागत वन निवासी कोई भी ऐसा सदस्य जो 13 दिसंबर 2005 के पूर्व कम से कम तीन पीढ़ियों से वन भूमि में निवास करता हो अथवा जीविका की वास्तविक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वनों पर निर्भर हो, पात्र है।
वनभूमि के अधिभोग का व्यक्तिगत अधिकार निवास स्थान एवं कृषि भूमि अन्य अनुषांगिक क्रियाकलाप जैसे पशु रखने, फसल कटाई के बाद अन्य क्रियाकलाप, चक्रानुक्रम परती भूमि, वृक्ष उपज और उत्पाद के भंडारण के लिए प्रयुक्त वन भूमि पर अधिकार दिया जाएगा। जिसकी अधिकतम सीमा 4 हेक्टेयर है। कार्यशाला में सदस्यों को वन अधिकार के सभी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई।