लखनऊ। इंटरनेशनल यूनियन अंगेस्ट टीबी एंड लंग डिजीजेस (यूनियन) क्षय रोग के क्षेत्र में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय संस्था है। संस्था के तत्वावधान में ड्रग रेजिस्टेन्ट टीबी के उपचार के लिए देश में सात सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस विकसित किये जा रहे हैं, जिसमें किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग भी शामिल है। संस्था द्वारा यहाँ चिकित्सक, नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टॉफ और शोधार्थी के लिए दो दिवसीय (6 व 7 अक्टूबर) प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष तथा उप्र के टीबी उन्मूलन की स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन डा. सूर्यकान्त प्रशिक्षण कार्यशाला के समन्वयक हैं। डा. सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी उन्मूलन से जुड़े चिकित्सक, स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं शोधार्थियों के प्रशिक्षण के लिए यूनियन, केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत कार्यरत सेन्ट्रल टीबी डिवीजन एवं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज के प्रशिक्षक आये हुए हैं। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में डा. सूर्यकान्त, राज्य क्षय रोग अधिकारी डा. शैलेन्द्र भटनागर, यूनियन की डा. मीरा भाटिया, सेन्ट्रल टीबी डिवीजन के डा. मयंक मित्तल और टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल सांइसेज के सचिन व श्वेता उपस्थित रहे।
राज्य क्षय रोग अधिकारी डा. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि उप्र में 56 ड्रग रेजिस्टेन्ट टी.बी. सेन्टर (डीआर टी.बी. सेन्टर) तथा 24 नोडल डीआर टी.बी. सेन्टर कार्यरत हैं। केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस बनने के बाद इन सभी केन्द्रों का शिक्षण, प्रशिक्षण, उपचार आदि के लिए नेतृत्व करेगा। दो दिवसीय प्रशिक्षण से प्रशिक्षित केजीएमयू के लोग इन केन्द्रों पर कुशल प्रशिक्षक का कार्य करेंगे।
प्रशिक्षण कार्यशाला में 40 लोग प्रतिभाग कर रहे हैं, जो प्रशिक्षित होने के बाद उप्र के सभी मेडिकल कालेजों तथा सभी डीआर तथा नोडल डीआर टीबी सेन्टर के चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। उप्र के आगे के प्रशिक्षण कार्यक्रम में टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल सांइसेज के प्रशिक्षक भी बहुमूल्य समय प्रदान करेंगे। प्रशिक्षण कार्यशाला में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डा. अजय कुमार वर्मा, डा. दर्शन बजाज तथा डा. ज्योति बाजपेई भी उपस्थित रहीं।