
ट्रंप सरकार ने दोस्त इजरायल को भी नहीं बख्शा, दोस्त पर भी टैरिफ
Trump Tarriff War:ट्रंप ने जबसे अमेरिका की कमान संभाली है, तब से ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की नीतियों में बहुत बदलाव हुआ है. राष्ट्रपति ट्रंप ने दोस्त और दुश्मन सभी को एक ही बास्केट में डाल दिया. सभी देशों पर टैरिफ रेसिप्रोकल पॉलिसी (जिसने जितना टैरिफ अमेरिकी प्रोडक्ट पर लगाया है) के तहत लगा दिया.
इसकी चपेट में अमेरिका का सबसे नजदीकी मित्र देश इजरायल भी आ गया. ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. इसके लिए बकायदा सभी देशों की लिस्ट जारी की गई. इसमें बताया गया कि संबंधित देश पर कितना टैरिफ लगाया गया है. इजरायल पर भी 17 फीसद ईरान की ओर से बातचीत के लिए विदेश मंत्री अब्बास अरगाची ओमान की राजधानी मस्कट पहुंचे थे. दूसरी तरफ, अमेरिका की ओर से ट्रंप सरकार के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ वार्ता के लिए पहुंचे थे. ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इतनी बेहतर तरीके से बातचीत हुई कि दोनों पक्षों ने इसे अगले सप्ताह भी जारी रखने का ऐलान किया है. ओमान के विदेश मंत्री बद्र बिन हमाद अल-बुसैदी बतौर मध्यस्थ मौजूद थे. बता दें कि ओमान की मध्यस्थता में ही अमेरिका और ईरान के बीच यह इनडायरेक्ट डायलॉग संपन्न हुआ. अमेरिका और ईरान के प्रतिनिधि अलग-अलग कमरों में बैठे हुए थे. ओमान के विदेश मंत्री दोनों का संदेश एक-दूसरे तक पहुंचाने का काम कर रहे थे. अक्टूबर 2023 में हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर व्यापक पैमाने पर कत्लेआम मचाया था. इसके बाद पश्चिम एशिया में जंग छिड़ गई. इस दौरान सबकुछ पटरी से उतर गया. ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर फिर से सहमति बनाने का प्रयास शुरू किया है. ओमान की वार्ता उसी का नतीजा है. विटकॉफ और अरगाची के बीच बातचीत के बाद वाइट हाउस की ओर से बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया, ‘ये मुद्दे बहुत जटिल हैं और विशेष दूत विटकॉफ का आज का सीधा संवाद पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त करने की दिशा में एक कदम आगे है.’ बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने अगले शनिवार को फिर से मिलने पर सहमति व्यक्त की है. वाइट हाउस ने वार्ता को पॉजिटिव और कंस्ट्रक्टिव बताया है. यहां तक कि वॉशिंगटन ने तेहरान पर कई तरह के सख्त प्रतिबंध भी लगा रखे हैं. ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अब एक बार फिर से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत शुरू की गई है. ओमान में बातचीत के बाद अमेरिका ने जिस तरह से रिएक्शन दिया है, वह ईरान के प्रति काफी नरम है. लेकिन, इससे ट्रेडिशनल फ्रेंड इजरायल कितना खुश हुआ होगा यह बताना कठिन है.