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सुप्रीम कोर्ट पर बुरी तरह भड़क गए उपराष्ट्रपति धनखड़

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सुप्रीम कोर्ट पर बुरी तरह भड़क गए उपराष्ट्रपति धनखड।

नई दिल्ली:उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर नाराजगी जताई, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा (3 महीने) तय की गई थी। उन्होंने कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं, क्योंकि राष्ट्रपति संवैधानिक रूप से सर्वोच्च पद पर हैं और संविधान की रक्षा, संरक्षण व संवर्धन की शपथ लेते हैं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में एक न्यायाधीश के घर पर एक घटना घटी। सात दिनों तक किसी को भी इसके बारे में पता नहीं चला। हमें खुद से सवाल पूछने होंगे। क्या देरी की वजह समझ में आती है? क्या यह माफ़ी योग्य है? क्या इससे कुछ बुनियादी सवाल नहीं उठते?

उराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जस्टिस वर्मा नकदी बरामद मामले में जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई। धनखड़ ने कहा कि इस देश में किसी भी संवैधानिक पदाधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है, चाहे वह आपके सामने मौजूद व्यक्ति ही क्यों न हो। इसके लिए बस कानून का शासन लागू करना होता है। इसके लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होती।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान वक्फ संशोधन ऐक्ट के कुछ संशोधनों पर चिंता जताते हुए अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, आदेश पारित करने से पहले केंद्र ने समय मांगा था, जिसके बाद मामला गुरुवार के लिए स्थगित कर दिया गया था। गुरुवार को जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी कानून को स्थगित करना चाहे सीधे तौर पर हो या परोक्ष रूप से, एक असाधारण कदम होता है। सिर्फ प्रारंभिक अध्ययन के आधार पर ऐसा नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि हमें लाखों रिप्रेजेंटेशन प्राप्त हुए हैं, जिसके अध्ययन के बाद यह संशोधन हुआ है। गांवों को वक्फ घोषित कर दिया गया, निजी संपत्तियां भी वक्फ में शामिल कर दी गईं। इससे अनेक निर्दोष लोगों को प्रभावित किया गया है। मेहता ने यह भी कहा कि अदालत कानून के प्रावधानों को बिना समुचित सहायता के स्थगित कर एक गंभीर और कठोर कदम उठा रहा है। उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 145(3) के तहत सुप्रीम कोर्ट को केवल संविधान की व्याख्या करने का अधिकार jहै और वह भी कम से कम 5 जजों की पीठ द्वारा।उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट का अधिकार केवल अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है।

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