New Ad

क्या है शब-ए- मेराज?

0 33

लखनऊ: शब-ए-मेराज दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक बेहद पाक रात होती है, जिसकी इस्लामिक इतिहास में काफी अहमियत है. यह हर साल इस्लामी हिजरी कैलेंडर के मुताबिक, रजब माह (साल का ७वां महीना ) में 27 तारीख को मनाया जाता है.

 

 

यहाँ शब का मतलब रात होता है, जबकि मेराज का मतलब स्वर्ग की यात्रा करना है. यानी इस्लाम धर्म की मान्यता के मुताबिक़ इस रात को कई चमत्कारिक और ऐतिहासिक घटनाएं हुई थी. ऐसा माना जाता है कि शब-ए-मेराज की रात को ही इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने मक्का से येरुशलम की बैत- उल- मुकद्दस मस्जिद तक की यात्रा की थी.

कहा जाता है कि इसी मौक़े पर मुसलमानों पर नमाज़े फ़र्ज़ की गईं. हालांकि, नमाज़ इससे पहले से भी पढ़ी जाती थी. लेकिन तब नमाज़ पढना अनिवार्य नहीं था. कुछ उलेमा नमाज़ के फ़र्ज़ होने को इंसानों के लिए पाक परवर दिगार का एक गिफ्ट मानते हैं, क्यूंकि इंसान नामज़ के ज़रिए रोज़ान अपने रब के सामने सजदा करता है. उससे संवाद करता है और उसतक अपनी बात पहुंचाता है. उलेमा बताते हैं कि इस दिन अल्लाह ने इंसानों को दो और गिफ्ट अपने पैगम्बर के जरिये दिए थे. इसमें दूसरा गिफ्ट अल्लाह का ये वादा है कि अगर कोई इंसान दुनिया में सिर्फ अलाह की इबादत करके आता है और कोई शिर्क नहीं करता है, तो अल्लाह उसके लिए जन्नत अनिवार्य कर देता है

कुरआन में लिखी आयतों के मुताबिक, ऐसी मान्यता है कि इसी रात को अचानक हज़रत जिब्रीले अमीन (फ़रिश्ते जो अल्लाह और पैगम्बर के बीच संवाद वाहक का काम करते थे) प्रकट हुए. उनके साथ कई दीगर फ़रिश्ते भी थे. वो सभी नबी करीम (स.अ.) को जगा कर मस्जिद ले गए. वहां नबी की सवारी के तौर पर स्वर्ग से एक जानवर लाया गया, जिसे बुर्राक़ कहा गया है. नबी करीम (स.अ.) इसी बुर्राक़ पर सवार होकर मस्जिदे अक़्सा की जानिब रवाना हुए थे. मस्जिदे अक़्सा पहुंच कर रसूल अल्लाह (स.अ.) ने इसी रात को अम्बिया (अन्य नबियों) की इमामत की थी. इसके बाद आप मेराज के सफ़र (स्वर्ग की यात्रा) के लिए रवाना हुए थे. आसमानों के सफ़र के दौरान आप ने हज़रत आदम, हज़रत ईसा, हज़रत मूसा हज़रत यूसुफ़ समेत कई अम्बिया से मुलाक़ात की. इसके बाद आपको सिदरतुल मुनतहा पर बलंद किया गया, जिसे सातवां आसमान माना जाता है. ये वो मक़ाम है जहां आपने हज़रत जिब्रीले अमीन को असली सूरत में देखा था. अल्लाह तअला के अनवारात का मुशाहिदा किया…यहां आप बारगाहे इलाही में सजदा बजा लाए और अल्लाह तअला से संवाद किया.

Leave A Reply

Your email address will not be published.