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दुनिया इस ज़ुल्म पर क्यों है खामोश

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रज़ा अब्बास
वरिष्ठ पत्रकार

दूसरे विश्व के बाद हिटलर बुरी तरह से जर्मनी में यहूदियों का नरसंहार करने लगा।  वो यहूदियों को देश का गद्दार मान रहा था और एक साजिश करने वाली क़ौम समझता था। एक-एक दिन में 1 लाख से भी ज़्यादा हिटलर यहूदियों को मार रहा था। बहुत यहूदी पलायन करने लगे और  दुनिया के दूसरे हिस्सो में जाने लगे। बर्तानिया ने सारे यहूदियों की मदद करना शुरू कर दी,सब यहूदियो को उस वक़्त के फिलिस्तीन निज़ाम से बात चीत करने के बाद फिलिस्तीन की ज़मीन के एक हिस्से में इन रिफ्यूजियों को कुछ दिन के लिया टिकने के लिए राज़ी कर लिया। विश्व युद्ध खत्म होने के बाद दुनिया में कही भी यहूदी अगर रह रहा था तो वो धीरे-धीरे फिलिस्तीन के उसी हिस्से पर एकत्रित होने लगा जहा वो रिफ्यूजी की तरह रह रहे थे।इसी अंतराल के दौरान इस क़ौम ने अपना विकास करना शुरू किया। वो अपने सारे जन साधन बनाने लगे और इन चीज़ों के लिए बर्तानिया और अमेरिका ने आर्धिक मदद दी।

इस क़ौम ने तकरीबन सारी चीज़ों से आपने आपको को मजबूत कर लिया था।जहाँ बर्तानिया के कहने पर  फिलिस्तीन के मजूदा निजाम ने आने वाले अगले अंतरराष्ट्रीय फैसले तक ही यहूदियों  को रहने की  इजाज़त दी थी।  पर इजाज़त के अंतराल में ही यहूदी अजीब हरकत करने लगे थे। जैसे उन लोगो ने अपना खुद का झंडा,खुद की फौज और कई हिस्सों में अपने को घेरने के लिए बाउंड्री वाल बनाने लगे। फिलिस्तीन की गफलत और नज़र  अंदाज़ रूख से यहूदियों ने भरपूर फायदा लिया। जब बात हद से ज़्यादा बढ़ गई तो फिलिस्तीन ने बर्तानिया और अमेरिका से शिकायत करना शुरू करदी पर इन दोनों मुल्कों ने इन शिकायतों को नज़र अंदाज़ कर दिया क्योंकि बर्तानिया और अमेरिका ने साजिश के तहत यहूदियों को बसाया था।अबतक रिफ्यूजी यहूदियों में काफी मज़बूती आगई थी और उसने एक अलग मुल्क का दावा ठोक दिया।

उन हिस्सों को यहूदियों ने इस्राइल मुल्क का नाम दिया और कहा कि हम दुनिया की सबसे पुरानी क़ौम है और  पूरी दुनिया मे हमारे पास कोई मुल्क नही है और ये जगह तो हमारे पुराने पैग़मरो की है यहां हमारे दूत बसते थे इसीलिए ये इलाका हमारा है। दुनिया की सबसे हैरतअंगेज़ तस्वीर ये रही की  फिलिस्तीनियों को अब इन इलाकों में जाने के लिए इस्राइली चेकपोस्ट से गुज़रना पड़ता था और उनको उन्ही की इबादतगाह बैतूलमुक़दस में जाने से रोका जाने लगा । बैतूलमुक़दस मुसलमानों का काबे से पहले का किब्ला था और मुसलमानों के लिए बैतूलमुक़दस बहुत अज़ीम है क्योंकि ईश्वर द्वरा भेजे गए कई पैगम्बरों का सिलसिला रहा है इस बैतूलमुक़दस से। धीरे-धीरे कई हिस्सों पर यहूदियों ने कब्जा कर लिया और फिलीस्तीनियों पर ज़ुल्म भी करना शुरू कर दिया। इसको देखते हुए फिलीस्तीन ने दूसरे अरबो मुल्को से गुहार लगाई।मिस्र,लेबनन, जॉर्डन और दूसरे अरब मुल्को ने मिलकर इस्राइल पर हमला करना तय पाया पर फलस्वरूप कुछ अरबो की गद्दारी और फौजियों की ना समझी के बिना पर अरबो को हार का सामना करना पड़ा इसका नतीजा ये हुआ कि इस्राइल अंतरराष्ट्रीय तौर पर और मजबूत हो गया।

यहूदियों का मानना है कि वो बहुत छोटी क़ौम है और सबसे पुरानी क़ौम है इसी से लोग परिवर्तित होकर ईसाई और मुसलमान हुए है इसीलिए इनकी जनसंख्या कम है। अपने आपको बचाने के लिए वो बड़े पैमाने पर साजिशें करते है ताकि दूसरी क़ौमे इन्ही साजिशों में फंसे रहे और वो कुछ ना सोच सके। इस चीज़ को मजबूत करने के लिए उन्होंने अपने सबसे पुराने दुश्मन ईसाईयों से इत्तेहाद कर लिया। बस अपना पूरा फोकस मुसलमानों के लिए लगा दिया क्योंकि यहूदियों को पता है कि ये क़ौम बहुत मज़बूत है और अगर ये हक़ की तरह पहले की तरह पलट जाए तो उनको हराना ना मुमकीन है। इसीलिए पूरे अरब और मिडल ईसट में कोई ना कोई संकट या ग्रह युद्ध बना रहता है सारी चीज़ों के पीछे इस्राइल है। यहूदी जिस पैगम्बर को मानते है उनका नाम है हज़रते मूसा है इनका ज़िक्र आसमानी किताब क़ुरान में है और हज़रते मूसा को मानना मुसलमानों पर फ़रीज़ा है सारे मुसलमान हज़रते मूसा पर ईमान रखते है।हज़रते मूसा जो आसमानी किताब  लाए थे उसमे यहूदियों ने तब्दीली कर दी और वो असल दीन से भटक गए। मुसलमान इस चीज़ का सख्त मुखालिफ है पर कभी भी पैग़म्बरे इस्लाम मोहम्मुस्तफा(स.आ.स.स.) ने कोई सख्ती नही की पर जब उन्होंने सत्यता बताई तो बहुत से यहूदी मुसलमान हो गए।

ये यहूदियों को खलने लगा कि उनकी जनसंख्या कम हो रही क्योंकि यहूदी इस्लाम कुबूल करने लगे। यहूदियों की असल किताब में लिखा था कि जब कोई मोहम्मद नाम का नबी आएगा तो तुम उसपर ईमान लाकर उसके धर्म को अपना लेन पर ज़िद्दी यहूदी इस चीज़ से भागने लगे। अपनी जनसंख्या देखर उस दौर के यहूदियों ने मोहम्मद साहब पर हमला कर दिया और मुसलमानों और यहूदियों के बीच कई जंगे हुई पर यहूदी सब हरे। यहूदी सामने से लड़ने से ज़्यादा छुपकर साजिशें करने पर विश्वास रखता है। क्योंकि उनका मानना है कि सामने से आप एक जंग जीत जाओगे पर साजिशें करके किसी भी क़ौम की नस्ल आप बर्बाद कर सकते हो। इस वक़्त की सूरते हाल फिलीस्तीनियों की ये है कि वो खुद अपने मुल्क में कैदी की तरह है। यहूदियों का ज़ुल्म फिलीस्तीनियों के छोटे बच्चे और उनकी औरतो पर तक जारी है। तस्वीर ये है कि अगर कोई छोटा सा बच्चा पथर लेकर उठाता है तो इस्राइली फौजी उसको गोलियों से भून देते है।

इनके ज़ुल्मो के खिलाफ फिलीस्तीनियों ने भी कई संगठन बनाए है पर दुनिया इस्राइल के इस ज़ुल्म पर खामोश है पर अगर फिलिस्तीनी कोई हमला करें अपने मुल्क के लिए तो वो दुनिया के लिए आतंकवादी हमला है। तस्वीरे अलग-अलग है दुनिया के लिए एक ज़ुल्म इंसानियत पर हो रहा है जहाँ इंसानियत की हर हदे पार हो चुकी है। दुनिया के इसी दोहरे मापदंड और इस्राइली ज़ुल्म के खिलाफ इमामे खुमैनी ने यौमें क़ुद्स हर साल रमज़ान के आखरी जुमे(शुक्रवार) के दिन  मुसलमानों से मनाने के लिए कहा था। इसीलिए सारे मुसलमान क़ुद्स डे मनाते है। आज रमज़ान का आखरी जुमा है इसीलिए आज क़ुद्स डे है। हम भी आजके दिन इस्राइल के इस ज़ुल्म के खिलाफ अपना इतेजाज दर्ज कराते है।

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