प्रयागराज । हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव में गिने चुने दिन ही बचे हैं। चुनाव आयोग लगातार निगरानी रख रहा है कि किसी तरह से कोई अचार संहिता का उलंघन न हो। हाल में कई पदाधिकारियों को इसके लिए फटकार लगायी गयी। शिकायत अचार संहिता उलंघन की थी।
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी एक बार फिर अध्यक्ष पद के प्रत्याशी हैं। एक वार्ता में पूर्व अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि वे आज अधिवक्ताओं के सभी समस्यायों से वाकिफ हैं और लगातार अधिवक्ताओं के सवाल को बार के माध्यम से बेंच में उठाते रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि बार का विकास उनके नाम से जाना जाता है। अनिल तिवारी के पहले का विकास और अनिल तिवारी के बाद का विकास, इस तरह से लकीर खींचना छोटी बात नहीं है। बार कार्यालय में वे तब वाई फाई की व्यवस्था किये थे जब महासचिव थे, अधिवक्ताओं को समय से मेडिक्लेम तो उनके लिए सम्मान की बात करने में उनका नाम है।
पूर्व अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि आज लिस्टिंग की समस्या, रिवाइज की समस्या, पार्किंग, चैम्बर, महिला अधिवक्ताओं के लिए बेबी केयर हॉल, अस्पताल और आवासीय व्यवस्था के साथ साथ सबसे जरुरी बात यह है कि बेंच से संवाद कायम करना भी बार का एक काम है। अनिल तिवारी ने बताया कि आज मुख्य न्यायधीश से बार को बात करके कोई भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
हड़ताल और अन्य कार्य करने एक सवाल पर अनिल तिवारी कहा कि अधिवक्ता हड़ताल नहीं करता है लेकिन अपनी बात को कहने का क्या जरिया हो सकता है ? अगर अधिवक्ता सम्मान पर आंच आएगी और बात नहीं सुनी जाएगी तो अधिवक्ता को कोई कदम उठाना तो पड़ेगा। साथ ही अगर कोई अधिवक्ता है तो वह और काम नहीं करता है बल्कि हर काली कोट पहनने वाला अधिवक्ता नहीं है।
संशोधन के सवाल पर अनिल तिवारी ने बताया कि सैद्धांतिक रूप से शंशोधन सही हुए हैं। इसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में एक आदेश भी है। किसी नंबर के बारे में कोई मतभेद भले हो लेकिन इस संशोधन से अभ्यासरत अधिवक्ता ही वोटर हैं और ऑफिस होल्डर होंगे।
