
बाराबंकी : बाप की दुआ लेने वाला कभी गरीब नहीं होता,मां की दुआ लेने वाला बदनसीब नहीं होता। येह बात कंपनी बाग स्थित मरहूम मोहम्मद अतहर साहब के अजाखाने में मर्हूमा नसीम अतहर बिन्ते मो. अतहर की दसवें की मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सदफ ने कही। उन्होंने यह भी कहा कि अपने को उस जहन्नम की आग से बचाओ जिन का ईंधन इंसान और पत्थर होंगे। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा आखेरत को दुनिया की कसौटी पर परखने वाले गुमरही का शिकार हो जाते हैं। अल्लाह के आजाब से बचना चाहते हो तो कुरान और अहलेबैत ए रसूल का दामन थाम लो उनके बताए रास्ते पर चलो। मौत नेक इंसानों के लिए रहमत है। आखिर में रसूल की बेटी व कर्बला वालों के मसायब पेश किये।जिसे सुनकर सभी रोने लगे। मजलिस से पूर्व शायर सरवर अली ने अपने अंदाज में पेशखानी की। वहीं दूसरी मजलिस को बेलहरा हाउस स्थित बाकर साहब के अजाखाने में अजाये फात्मी के उन्वान से मौलाना मो आरिफ रिजवी साहब ने खिताब करते हुये कहा कि वह इबादत इबादत नहीं जिसमें किरदार साजी ना हो
मस्जिद के कानून जिस दिन समाज में लागू हो जाएंगे नफरतें खत्म हो जाएंगी। समाज में तरक्की नजर आएगी। दुनिया के गुलाम गुलामी से आजादी चाहते हैं, लेकिन आले मोहम्मद के गुलाम गुलामी में रहना चाहते हैं। शिकवा करने वाला मोमिन नहीं हो सकता। अपने किरदार और अखलाक को इस तरह अदा करो कि देखने वालों को नजर आए। अमल की जमीन पर आओ जबानी दावों से बचो तभी नजात मिल सकती है। अल्लाह की अता चाहिए तो अल्लाह से अपने को करीब करो ,क्योंकि बगैर कुरबत के कुछ हासिल होने वाला नहीं । जब दिल में खौफे खुदा होता है तो फिर खुदा भी मेहरबान होता है तभी कुर्बत हासिल होती है।मजलिस का आगाज शुजा ने तिलावत से किया। मजलिस से पहले अजमल किन्तूरी और जाकिर इमाम ने नजरानये अकीद्क्त पेश की। अन्जुमन गुन्चये अब्बासिया ने नौहाख्वानी व सीना जनी की। बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।