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गुरू के बिना हम जीवन का सार ही नहीं-रामस्वरूप शास्त्री

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जालौन/उरई। गुरू की महत्ता हमारे जीवन में अनुपम है क्योंकि गुरू के बिना हम जीवन का सार ही नहीं समझ सकते हैं। यह बात नगर के एकमात्र सरस्वती मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक पंडित रामस्वरूप शास्त्री ने कही।
नगर के एकमात्र सरस्वती मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित रामस्वरूप शास्त्री ने उपस्तिथ श्रोताओं को संबोधित कर कहा कि सदैव ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गुरू के समक्ष चंचलता नहीं करनी चाहिए। जितनी आवश्यकता है उतना ही बोलें और जितना अधिक हो सके गुरू की वाणी का श्रवण करें। कहा कि गुरू चरणों की सेवा का अवसर मिलना परम सौभाग्य होता है, जो अनमोल है। इसलिए गुरू सेवा को समर्पित भाव से करना और उनका आदेश का पालन सदा ही करना चाहिए। गुरू की महिमा अपार है और उनकी करूणा अदभुत है। कब किस पर अनुग्रह हो जाएं। प्रभु के अवतारों के प्रयोजन पर भी कहा कि प्रभु किसी राक्षस, दानव और अधर्मी का वध करने के लिए ही अवतरित नहीं होते हैं बल्कि अपने भक्तजनों पर कृपा बरसाने के लिए भी अवतरण लेते हैं। घर द्वार छोड़कर वन में चले जाने ही वैराग्य नहीं होता बल्कि अपने अंतःकरण की शुद्धता इसमें नितांत आवश्यक है। इस मौके पर पारीक्षित श्यामा देवी मिश्रा, पुजारी हृदेश मिश्रा, संतोष मिश्रा, सुशील मिश्रा, देवेंद्र मिश्रा, शिवकुमार निरंजन, मुन्ना सेंगर, रामेश्वर दयाल निगम, हृदय नारायण मिश्र, महावीर सिंह गौर, रिंकू गुप्ता, सुशील माहेश्वरी, दीपू मिश्रा कविता, संगीता, सरला, गरिमा, अंजली, प्रेमलता, मनीषा ने कथा को सुना।
उधर, मोहल्ला गणेशजी स्थित जनक मंडपम में कलश यात्रा के साथ साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ हुआ। भगवताचार्य जगदीश नंदनजी महाराज के नेतृत्व में निकाली गई कलश यात्रा में पारीक्षित रामकली, बलवीर सिंह राठौर आचार्य प्रमोद कुमार तिवारी, यज्ञाचार्य इंद्रमणी द्विवेदी, कथा सहयोगी किशोरी शालनीजी, कमलेश, मुकेश, उमेश, अनुराग, अनुरुद्ध, आदि मौजूद रहे।

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