नैनी (प्रयागराज)। विश्वव्यापी संस्थान प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा की 54वें स्मृति दिवस पर ब्रह्माकुमारीज के बसवार रोड, धनुआ स्थित मुख्य सेवा केंद्र सद्भावना भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज की क्षेत्रीय निदेशिका मनोरमा दीदी ने बताया कि परमात्मा शिव के निर्देश पर एक नए श्रेष्ठ समाज की स्थापना के लिए दादा लेखराज ने अपनी सारी संपत्ति तथा स्वयं को समर्पित कर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना 1937 में सिंध हैदराबाद में की थी। उसके पश्चात राजयोग की भागीरथी साधना द्वारा 18 जनवरी 1969 को उन्होंने अपने संपूर्ण अवस्था को प्राप्त किया तथा पुरानी देह का त्याग किया। ब्रह्माकुमारीज में 18 जनवरी को विश्व शांति दिवस तथा जनवरी मास को तपस्या मास के रूप में मनाया जाता है। जिसमें तपस्या के विशेष प्रोग्राम रखे जाते हैं। भारत को विश्व गुरु तथा विश्व को सतयुगी दुनिया बनाने के परमात्मा के निर्देश को प्रजापिता ब्रह्मा ने सहर्ष स्वीकार कर नारी शक्ति को आगे बढ़ाया तथा समाज में दैवीय मूल्यों की स्थापना करने के लिए परमात्मा शिव द्वारा दिए हुए गीता ज्ञान को विश्व के कोने कोने में फैलाया। उनकी तपस्या का परिणाम ही है कि उनके जाने के 54 साल बाद भी ब्रह्मा कुमारीज पुष्पित पल्लवित होते एक विशाल वृक्ष का रूप ले चुका है। उन्होंने सभी को अपने जीवन में ब्रह्मा बाबा के आदर्शों को जीवन में धारण करने तथा उनके कदमों पर कदम रख चलने की बात कही। इस अवसर पर आए हुए भाई बहनों के लिए ब्रह्मा भोजन भी रखा गया था तथा हजारों की तादाद में ब्रह्मा कुमार भाई बहनों ने ब्रह्मा बाबा को स्नेहांजलि अर्पित की। ब्रह्माकुमारी प्रियंवदा ने बताया कि माघ मेले में ब्रह्माकुमारीज का स्टाल लगाया जा चुका है तथा कल से विधिवत सेवाएं शुरू की जाएंगी।
ज्ञात हो कि माघ मेले में प्रशासन ने सेक्टर 2 में हरिहर आरती के बगल में प्लाटून पुल संख्या दो के पास ब्रह्मा कुमारीज को स्थान दिया हुआ है। उन्होंने सभी को वहां पहुंच कर परमात्मा के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सभी को आग्रह किया।