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जीवन जीने की कला है योग: मो. सलीम

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15 दिवसीय योग शिविर का हुआ समापन

देवाशरीफ बाराबंकी :  कोविड-19 के समय में जब मनुष्य की सारी दिनचर्या प्रभावित हुई है, ऐसे हालात में योग से न केवल रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि जीवन जीने की कला भी सीखी जा सकती है। योग एक विज्ञान है, जीवन जीने की कला है, जिसके जरिए प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को निरोगी बना सकता है। उक्त उदगार विकास खण्ड देवा के ब्लाक सभागार में पण्डित दीन दयाल उपाध्याय योग सेवा संस्थान के तत्वाधान में आयोजित 15 दिवसीय योग शिविर के समापन अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित करते हुए सहायक विकास अधिकारी पँचायत मो0 सलीम ने कही। उन्होंने कहा कि आज के दौर में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और भावना योग के माध्यम से मानव के अंदर (आत्मा) की सफाई भी की जा रही है। एडीओ आइएसबी मानवेंद्र शर्मा ने योग शिविर की सराहना करते हुए कहा कि योग कोई व्यायाम नहीं है बल्कि यह जीवन जीने का तरीका है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी कई तरह के रोगों और स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए योग करने की सलाह देता है। अपनी इसी खूबी के ही कारण योग दुनिया के तमाम देशों में अपना लिया गया है

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय योग संस्थान के योग प्रशिक्षक अमित सिंह एव ज्ञानमती ने योगाचार्य ने सूर्य नमस्कार, भ्रस्तिका, कपाल, ताडासन त्रिकोणसन, कटि चक्रासन, पदा हस्तासन, नौकासन सहित अन्य अभ्यास कराते हुए कहा कि प्राणायाम से जब हम प्राण वायु को विधि, निरंतरता, विश्वास और संकल्प के साथ करते हैं तो वह प्राण वायु प्राणायाम बन जाता है। प्राणायाम से फेफड़ों के भीतर आक्सीजन की मात्रा सामान्य से 5 से 10 गुना अधिक हो जाता है। हमारी कोशिकाओं में आक्सो हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है और हम आरोग्यता को प्राप्त होतें हैं

योग शिविर में नगर पंचायत देवा के अलावा गंगवारा, कैमई, मुस्तफाबाद, टेराकला, पवैयाबाद, कोटवाकला, मामापुर, गोपालपुर, सिपाहिया, बसारा, खरेहटा, नरैनी, जसनवारा सहित अन्य गाँवो के 95 प्रतिभागी योग शिविर में प्रशिक्षण लिया। इस मौके पर प्रहलाद यादव, रत्नेश कुमार, शिवम सोनी, सतीश कुमार, धर्मेन्द्र कुमार राज, अभिषेक वर्मा, विपिन कुमार, प्रीति यादव, सोनिया वर्मा, पूजा, वन्दना वर्मा, सुधंशी वर्मा आदि लोग मौजूद रहे।

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