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लखनऊ नगर निगम में गृहकर टैक्स के नाम पर चल रहा है भ्रष्टाचार का बड़ा रैकेट

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राजस्व निरीक्षक के स्टिंग में हुआ बड़ा खुलासा, खुद धूम-धूम कर कर रहीे हैं अवैध धनउगाही

रैकेट में शामिल हैं नगर निगम जोन 2 के अधिकारी, कर्मचारी व बाहरी व्यक्ति

लखनऊ (आरएनएस) : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सरकार में जीरो टाॅलरेंस नीति का पालन कराने में लगे हैं लेकिन सरकारी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी खुद ही मुख्यमंत्री की नीतियों को पलीता लगा रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न विभागों में स्थानांतरण व पोस्टिंग के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार के बाद प्रदेश की राजधानी के नगर निगम में गृहकर के नाम पर एक बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। इसमें लखनउ नगर निगम के अफसरों, लिपिकों व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से लेकर दलालों की गठजोड़ से एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। यह रैकेट पहले गृहकर के नाम पर महानगर वासियों को भारी भरकम टैक्स की रसीद भेज देता है। बाद में रैकेट उसमें आधी रकम पर तोड़ कराकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम देता है।

अभी हाल ही में नगर निगम के जोन 2 के राजेंद्र नगर का एक मामला सामने आया है। लखनउ नगर निगम के राजस्व निरीक्षक द्वारा 19 लाख 16 हजार 8 सौ चैतीस रुपये के गृहकर बकाया होने की रसीद मकान मालिक देते हुए मकान को सीज कर दिया गया। अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसके बाद मकान को खुलवाने का दोबारा प्रयास शुरु किया तो नगर निगम में सक्रिय दलालों के रैकेट से उसकी मुलाकात हो गई। इसमें जोन 2 के राजस्व निरीक्षक की संलिप्ता सामने आई है। राजस्व अधिकारी ने मकान को खुलवाने के लिए सीधे तौर पर 4 लाख 78 हजार रुपए की रकम मांग ली और गृहकर को 9 लाख 55 हजार ,1सौ अस्सी रुपये किए जाने का वादा किया है। जब सबकुछ तय हो गया तो राजस्व अधिकारी ने पहले अपने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व बाद में खुद ही 4 लाख 78 हजार रुपए नकद व गृहकर की राशि 9 लाख 55 हजार 180 का चेक लेने पहुंच गई। इस पूरी घटना का खुलासा स्टिंग से हुआ है। स्टिंग में नगर निगम के जोन 2 की राजस्व निरीक्षक कहती नजर आ रही हैं कि उनको 9 लाख 55 हजार 180 रुपए का चेक और 4 लाख 78 हजार रुपए नकद चाहिए। इसके पीछे एक बड़ा तर्क है कि नगर निगम में सक्रिय रैकेट ब्याज को माफ कर ब्याज की आधी रकम को नकद ले लेता है। इसमें रैकेट में सक्रिय सभी अधिकारी कर्मचारी आपस में बांट लेते हैं।

पहले भी राजस्व निरीक्षक पर भ्रष्टचार के लग चुके हैं संगीन आरोप
राजस्व निरीक्षक पर भ्रष्टाचार का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों लगते रहे हैं। राजस्व निरीक्षक पर गोमती नगर के विशाल खंड के मकान नंबर 1150 के मकान मालिक विक्रम वरयानी ने लिखित शिकायत कर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इस प्रकरण में टैक्स रसीद पर ओवर राइटिंग किए जाने व गृहकर को वर्ष 2010 व 2014 के हिसाब से पुनरीक्षित न किए जाने का आरोप लगा लगा था। इस मामले में 20 लाख रुपए के चेक पर 28 लाख रुपए की ओवर राइटिंग का मामला था। यह मामला मीडिया में आने के बाद बीते मई में खुद महापौर संयुक्ता भाटिया ने नगर निगम के सभी कर्मचारियों को बुलाकर आरोपियों की पहचान कराई थी। इसमें लिपिक अमरनाथ वर्मा, राजस्व निरीक्षक नमिता सिंह व राजस्व निरीक्षक का कथित कर्मचारी राजेश चैबे को भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की बात सामने आई थी। इस पर महापौर ने तत्काल राजस्व निरीक्षक का स्थानांतरण दूसरे जोन में कर दिया था। इस आरोप के बाद इस जांच के बाद भी राजस्व निरीक्षक खुद ही अवैध वसूली करने के लिए कंपेनिंग करती स्टिंग में दिखाई दे रही हैं।

फिर से लिखित शिकायत मांग रहे हैं नगर निगम के अधिकारी
अब इस पूरे प्रकरण में एक बार फिर से नगर निगम के अधिकारी लिखित शिकायत की बात कह रहे हैं। नगर निगम के जोन 2 के कर निरीक्षक चंद्रशेखर यादव से जब इस पूरे प्रकरण में बात की गई तो उनका जवाब यही आया कि इस पूरे मामले की लिखित शिकायत करें। जैसा कि पहले भी गोमती नगर के विक्रम वरयानी प्रकरण में की गई थी, जिसकी अभी तक जांच पूरी नहीं हो पाई है और राजस्व निरीक्षक की ओर से घूम-धूम कर अवैध वसूली कराई जा रही है।

महापौर बोलीं साक्ष्य लाइए होगी कार्रवाई
नगर निगम की महापौर संयुक्ता भाटिया ने स्ंिटग के संबंध में बातचीत करते हुए बताया है कि पहले भी राजस्व निरीक्षक पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। अब एक बार फिर से इनके चर्चा में आने के बाद नगर निगम पूरे मामले की जांच करेगा। स्ंिटग की जांच के बाद अगर राजस्व निरीक्षक आरोपी पाई जाती हैं तो हर हाल में निलंबन की कार्रवाई होगी।

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