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अपर जिला सूचना अधिकारी सजातीय पत्रकारों को देते हैं वरीयता

शिकायतों के बाद भी सजातीय सरकारी अध्यापक को जोड़े हुए हैं पत्रकार ग्रुप में

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उरई (जालौन)। जिस तरह सूबे की सरकार निष्पक्ष होकर कार्य कर रही है व भ्रष्टाचार को खत्म कर सरकार सबका साथ सबका विकास के साथ कार्य कर रही है। और प्रदेश सरकार ने पत्रकारों के सम्मान के लिए कई निर्देश जारी कर कहा है कि पत्रकार को देश का चौथा स्तंभ कहा जाता है और सभी पत्रकारों का सम्मान रखा जाए व पत्रकारों के साथ किसी भी तरह की अभद्रता व भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । चाहे वह कोई भी अधिकारी ही क्यों ना हो। लेकिन जनपद जालौन के अपर जिला सूचना अधिकारी सूबे के मुखिया के आदेशों को सिरे से खारिज करते हुए हमेशा पत्रकारों के साथ भेदभाव करते हैं और अपने खास माने जाने वाले पत्रकारों को ऑफिस में बैठा कर चाय नाश्ता भी करवाते हैं और अन्य पत्रकारों से द्वेष भावना रखते हैं । जिसका जीता जागता सबूत मुख्यमंत्री के निरीक्षण में देखने को मिला जहां पत्रकारों को अपर सूचना अधिकारी घंटों धूप में खड़ा किए रहे तथा कुछ खास लोगों को अंदर बिठाए रहे घंटों धूप में खड़े रहने के बाद भी अपर सूचना अधिकारी ने उनको पत्रकार नहीं माना जबकि उनके अथॉरिटी लेटर इनके पास पहले से ही जमा है । इसके अलावा इनका एक सजाती सरकारी सहायक अध्यापक जो अपने को पत्रकार बताकर विभागों lमें घूम कर लोगों को पत्रकारिता की धौंस दिखाता रहता था जब जिसकी शिकायत शासन से की गई तब मालुम चला यह तो फर्जी तरीके से पत्रकारिता कर रहा है हकीकत में तो यह प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है तब यह खुद अपने ही खेल में फंसा जब विद्यालय समय पर यह प्राईवेट स्कूल में पढ़ाता है और पत्रकारिता करता ताज्जुब की बात तो यह है बिना विद्यालय गए  तनख्याह भी  लेता रहा  क्योंकि यह सरकारी अध्यापक है जिसको पत्रकारिता करने का अधिकार ही नहीं है। जब इसके विरोध में खबरें प्रकाशित हुई तब उस अध्यापक की सच्चाई सबके सामने आई और अधिकारियों ने उस अध्यापक का प्रवेश अपने कार्यालयों में वर्जित कर दिया लेकिन अपर जिला सूचना अधिकारी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और उस अध्यापक को सूचना विभाग ग्रुप में बतौर पत्रकार की हैसियत से जोड़े हुए हैं । जबकि जांच में जब सूचना अधिकारी से पूछा गया तो जांच अधिकारियो को गुमराह करके लिस्ट से उसका नाम हटा कर नई लिस्ट जारी की शायद नशे के आदि सूचना अधिकारी सूचना विभाग का जो ग्रुप बनाए हुए है उससे अध्यापक को हटाना भूल गए । आखिर चोर चोरी के निशान छोड़ ही देता है । क्योकि यह ग्रुप सूचना पत्रकारों तक पहुंचाने के लिए है जिसमें सूचना विभाग के कर्मचारी अधिकारियो व पत्रकारों को जोड़ा जाता है लेकिन इन महाशय पर अपर सूचना अधिकारी की कृपा शायद इसलिए बरस रही है कि यह सजातीय है । लेकिन वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो अपर सूचना अधिकारी की बच्ची उस सरकारी अध्यापक के प्राइवेट स्कूल में पढ़ती है जो कि अध्यापक ने अपने घर पर ही खोल रखा है । और ऐसे ही पत्रकारों की सह पर यह मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पत्रकारों की सूची बनाते हैं । और जिन पत्रकारों के अथॉरिटी लेटर जमा है। उनको उस लिस्ट से बाहर रखा जाता है अगर कोई पत्रकार इनका विरोध करता है तो अपर सूचना अधिकारी उसको फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी देते हैं । क्योंकि पूर्व में एक ईमानदार पत्रकार का पास नहीं बनाया तो जब उसने इसका विरोध किया तो अपर  सूचना अधिकारी ने उस पर मुकदमा दर्ज करवा दिया जबकि सूबे के मुखिया ने हर पत्रकार को सम्मान देने की बात कही है । लेकिन इनके यह कारनामे शायद उच्चाधिकारियों तक नहीं पहुंच पाते तभी तो यह नियम विरुद्ध अपनी मनमानी में लगे रहते हैं।  और विभागीय सूत्रों की मानें तो इन्होंने कई ऐसे कार्य किए हैं जिनको उच्च अधिकारी बर्दाश्त नहीं करेंगे जो कि गोपनीय है । जो कि सामने आ ही जाएंगे। क्योंकि सच को दबाया तो जा सकता है लेकिन छुपाया नहीं जा सकता।
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