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मोहर्रम का चांद नजर आते ही हजरत इमाम हुसैन के गम में डूबे अजादार

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लखनऊ : मोहर्रम का चांद नजर आते ही रविवार को हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में अजादार डूब गये। हर आंख अश्कबार नजर आयी। पुराने शहर के क्षेत्रों में या हुसैन… या हुसैन… की सदाएं गूंजने लगी हैं। जगह-जगह दुकानों पर नौहें व मजलिसें सुनी जा रही हैं। अजादारों ने कर्बला के शहीदों का गम मनाने के लिए रंग-बिरंगे कपड़े उतार कर काले लिबास पहन लिए हैं। महिलाओं ने भी जेवर व चूड़ियां वगैरह उतार कर काले लिबास पहन लिये हैं।

हजरत मोहम्मद साहब (स.) के नवासे हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) सहित कर्बला के शहीदों के गम का यह सिलसिला दो महीने आठ दिन चलेगा। अजादार इस दौरान वह अच्छे भोजन व समारोह से भी परहेज करेंगे। अजादारों ने इमामबाड़ों व घरों पर काले झंडे लगा दिये है। इमामबाड़ों में ताजिए और जरीह रखने के लिए बाजारों में इनके खरीदारों की भीड़ लगने लगी है। इसके अतिरिक्त मजलिसों में वितरित होने वाले तर्बरूक, हार-फूल, अलम के लिए फूल के सेहरे, इमामबाड़े के लिए फूलों के पटके और ताबूत के लिए फूलों की चादरों की भी दुकाने लग गयी है जिस पर खरीदारों की भीड़ देर रात तक लगी रही।

ताजियों व जरीह की खरीदारी

मोहर्रम का चांद देखने के बाद अजादार अपने घरों के अजाखानों को देर रात तक सजाते रहे। इमामबाड़ों में अलम-पटके, ताबूत और मिम्बर सजाकर रखे जाते हैं। इमामबाड़ों में विभिन्न प्रकार की आर्कषक ताजिये और जरीहयां लाकर रखी गईं। जिसकी मुख्य बाजार काजमैन, सुल्तानुल मदारिस,काश्मीरी मोहल्ला,बजाजा, मुफ्तीगंज, दरगाह हजरत अब्बास और हुसैनाबाद में लगी है। जहां दूर-दूर से लोग देर रात तक जरीह व ताजियों की खरीदारी करते रहे। कल भी जरीहयां व ताजिये की खरीदारी होगी। क्योंकि बहुत से लोग अपने अजाखानों को पहली मोहर्रम पर सजाते हैं।

कर्बला के प्यासों की याद में लगीं सबीलें

कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों को यजीद की फौज ने तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया था। उन्हीं प्यासे शहीदों की याद में अजादारी स्ट्रीट (विक्टोरिया स्ट्रीट),नक्खास, हुसैनाबाद रोड, पर अजादारों ने तमाम सबीलें लगायी हैं। लोग पानी पीकर कर्बला वालों की प्यास को याद करते है। मोहर्रम के दस दिनों में काफी भीड़ रहती है। सबीलों पर चाय, शर्बत, काफी और लंगर का वितरण होता है। इसके अलावा कश्मीरी मोहल्ला, दरगाह रोड, मुफ्तीगंज, काजमैन, मुसाहबगंज, गोलागंज, नूरबाड़ी आदि इलाकों में भी सबीलें लगना शुरू हो गयी हैं।

इमामबाड़ा नाजिम साहब व असर लखनवी में मर्सियाख्वानी आज से

लखनऊ। इदारा-ए-तहफ्फुजे मर्सियाख्वानी द्वारा इमामबाड़ा नाजिम साहब विक्टोरिया स्ट्रीट में पहली मोहर्रम से मर्सियाख्वानी की मजलिसों का आगाज होगा, जो नौ मोहर्रम तक जारी रहेगा। इस मौके पर मोहम्मद हैदर, मोहम्मद अहसन,खुर्शीद फतेपुरी,औन रिजवी,काजी मोहम्मद असद,अब्बास इरतिजा कानी,सुब्ही जैदी, फैज बाकर और अहसन सईद प्रतिदिन दोपहर 12.30 बजे मर्सिया पढ़ेंगें। इसके अलावा अजाखाना जाफर अली खां ‘असर लखनवी” कश्मीरी मोहल्ला में पहली से नौ मोहर्रम तक मर्सिये की मजलिसें होंगी। जिसमें ऑन रिजवी,खुर्शीद फतेपुरी,अफजल दबीरी, अफसर दबीरी,मोहम्मद हैदर,काजी असद,सुब्ही जैदी,अली इमाम गौहर और फैज बाकर रात 9 बजे मर्सिया पढ़ेंगे।

शाही मोम की जरीह का जुलूस आज

हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों की याद में सोमवार को शाही मोम की जरीह का जुलूस ऐतिहासिक आसिफी इमामबाड़े से शाम 6 बजे निकाला जाएगा। जो देर रात रात छोटे इमामबाड़े पहुंच कर समाप्त होगा। इससे पहले मजलिस को मौलाना मोहम्मद अली हैदर खिताब करेंगे। जुलूस में शाही मोम व अभ्रक की जरीह, हाथी-ऊंट पर शाही निशान लिए लोग, हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की सवारी का प्रतीक जुलजनाह, हजरत अब्बास के अलम सहित अन्य तबर्रुकात शामिल रहेंगे। जुलूस रूमी गेट, कुड़िया घाट और घंटाघर होते हुए छोटे इमामबाड़े पहुंचेगा। जहां लोग इसकी जियारत करेंगे।

घर में बनाई आकर्षक जरीह

मोहर्रम के दौरान इमामबाड़ों को सजाने के लिए लोग अपने घरों में भी ताजिये बना रहे हैं। पुराने शहर के रहने वाले इमरान अख्तर भोले ने इस वर्ष सफेद,गोल्डेन व नीले रंग के कागज से एक आकर्षक गोल जरीह अपने घर में बनायी है। इसकी बाजार में कीमत करीब 6000 रूपये है। जरीह को सिलवर व गोल्ड टीकी से सजाया है। जरीह की कमरखी गुम्बद  बहुत खूबसूरत बनी है। यह जरीह 5 फिट ऊंची और 2 फिट चौड़ी है। जरीह में लगी लाइट ने चार चांद लगा दिए हैं। इनके साथ इनकी भतीजी ताहनियत फातिमा भी जरीह में जड़ाव करके सजा रही है। शीशमहल निवासी आजम हुसैन ने भी अपने अजाखाने के लिए एक खूबसूरत गोल्डेन जरीह बनायी है।

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