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कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के बहाने केन्द्र व दिल्ली सरकार पर साधा निशाना

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कहा, न्यायालय के स्वतः संज्ञान लेने से कोरोना नियंत्रण में सरकारों की लापरवाही उजागर

लखनऊ : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी व कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कोरोना महामारी को लेकर बरती जा रही लापरवाही का स्वतः संज्ञान लेने का स्वागत किया है। शुक्रवार को कोरोना पीड़ित मरीजों के इलाज और दिल्ली के अस्पतालों में जारी अव्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी सरकार को जमकर फटकार लगायी है। शनिवार को कांग्रेस नेताओं ने बयान जारी कर कहा, कोरोना मरीजों के इलाज में केन्द्र और दिल्ली सरकार के साथ कुछ राज्यों में लगातार लापरवाही बरती जा रही है।

अब सर्वोच्च न्यायालय ने इसका संज्ञान लेकर स्पष्ट कर दिया है कि इस भयंकर महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई में केन्द्र की मोदी सरकार, दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और कुछ अन्य राज्यों की सरकारें इसके प्रति गंभीर नहीं हैं। श्री तिवारी और आराधना मिश्रा ने कहा, अब स्पष्ट हो गया है कि कोरोना संकट के समय भी मोदी सरकार का राज्यों के साथ बेहतर ताल-मेल नहीं बैठ सका। जिसके चलते हालात भयावह हो गए।

कांग्रेस नेताओं ने कहा, कोरोना पीड़ित मरीजों के शवों को अमानवीय तरीके से लाॅबी तथा वेटिंग हाॅल और यहां तक कि कचरे में लावारिस फेंक दिया गया। इससे भी ज्यादा कष्टदायी यह है कि सरकार के कुप्रबन्धन से पीड़ित परिवारों की पीड़ा और बढ़ती जा रही है। कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना से मरने वाले लोगों के शव भी कोरोना मरीजों के आस-पास ही पड़े हुए दिखे हैं। इससे तो अन्य मरीजों को भी मौत के मुंह में ढकेलने जैसा है।

सरकार की कथनी-करनी में अंतर

कांग्रेस नेताओं ने बुन्देलखण्ड में प्रवासी मजदूरों सहित 4 लोगों द्वारा आत्म हत्या की घटना पर भी दुःख व्यक्त किया। कहा कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क है। लोग भूख-प्यास और बेरोजगारी से आत्म हत्या कर रहे हैं। कहा कि सर्वोच्च अदालत ने भी देश में कोरोना जांच की धीमी गति पर चिंता जाहिर की है। संक्रमण के क्षेत्र मे नये मरीजों की लगातार बढ़ रही स्थिति से भी सरकार बेफिक्र है और देश में वह कोरोना जांच का ग्राफ नहीं बढ़ा पा रही है।

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर देर से लगाया प्रतिबंध

कांग्रेस नेताओं ने कहा, नमस्ते ट्रंप की वजह से ही आज देश में कोरोना संक्रमण की भयंकर स्थिति उत्पन्न हुई। केन्द्र सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के माध्यम से भारत में आने वाले विदेशियों के प्रति स्वास्थ्य जांच और अनेक प्रोटोकाॅल के निर्वहन में लापरवाही बरती। 30 जनवरी को ही केरल राज्य में कोरोना को राज्य आपदा घोषित करने के बाद भी केन्द्र सरकार नहीं चेती। जनवरी, 2020 में विदेशी उड़ानों को न बन्द करना एक भयंकर भूल थी क्योंकि कोरोना विदेशी उड़ानों से विदेश से आने वाले नागरिकों के साथ भारत आया था। कहा कि वह अस्पतालों मे इस महामारी के प्रति इलाज का सीधे स्वयं नियंत्रण करने का बंदोबस्त करे और हर कीमत पर देश में कोविड जांच का प्रतिशत बढ़ाया जाना चाहिये।

ताकि कोई राजनीतिक दल न कर सके राजनीति

कहा कि न्यायालय संपूर्ण देश में कोरोना के खिलाफ केन्द्र और प्रदेश सरकारों के प्रयासों की लगातार माॅनीटरिंग करता रहे। वैज्ञानिक सोच के साथ समस्या का समाधान किया जाए। क्योंकि यह मानव समाज के लिए अत्यंत पीड़ादायक और दुःख भरा दौर है। इसमें केन्द्र और प्रदेश के सामंजस्य के लिये सर्वोच्च न्यायालय की माॅनिटरिंग जरूरी है ताकि कोई भी राजनैतिक दल इसमें राजनीति न कर सके

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