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नज़दीकी मंडलों का न्यायिक क्षेताधिकार उच्च न्यायालय लखनऊ से सम्बध्द किये जाने हेतु प्रदर्शन

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लखनऊ : आज महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, रक्षा मंत्री व विधि एवम न्याय मंत्री के साथ माननीय मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधि एवम न्याय उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर प्रदेश की बड़ी जनसंख्या के साथ हो रहे अन्याय को दूर करने का आग्रह किया न्याय के मौलिक सिद्धान्तों के विपरीत क्षेत्र विभाजन को सर्व, सुलभ एवम न्यायप्रिय तभी बनाया जा सकता है जब नागरिकों को उनके निकटतम स्थान पर न्याय उपलब्ध कराया जा सके। प्रदेश की लगभग एक तिहाई जनसंख्या को सैकड़ों किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा कर न्याय के याचना हेतु इलाहाबाद लखनऊ के रास्ते जाना पड़ता है।

न्याययिक क्षेत्र का पुनर्गठन क्यों आवश्यक है :

1. प्रदेश में 80 जनपद हैं जिनमें 64 जनपद इलाहाबाद उच्च न्यायालय और 16 जनपद लखनऊ उच्च न्यायालय केंद्र से जुड़े हैं।
2. लगभग 15 जिलों के लोग इलाहाबाद न्याय की तलाश में लखनऊ होते हुए इलाहाबाद जाते हैं।
3. लखनऊ निकट होने के साथ आवागमन की सुविधा रोड रेल वायु मार्ग से जुड़ा है, रुकने ठहरने की अच्छी सुविधा है।
4. लखनऊ उच्च न्यायालय का भवन विश्व स्तरीय है जिसमे करीब 60 न्यायायिक कक्ष हैं जो तमाम आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण हैं।
वर्तमान में करीब 25 न्यायिक कक्षों में ही काम चल रहा है बाकी बन्द हैं जो कि प्रयोग न होने की स्थिति में खराब हो रहे हैं।
5. लखनऊ के आसपास के मंडलो के जनपदों को लखनऊ उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार से जोड़कर उन न्याययिक कक्षों का प्रयोग किया जा सकता है जिस पर सरकार ने 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यय किया है।
6. लखनऊ राजधानी व प्रशासनिक केंद्र होने के कारण भी उचित स्थान है जहाँ से प्रशासन की जबाबदेही भी आसान और सहज तरीके से हो सुनिश्चित हो सकती है।

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