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दिनेश सिंह दलगत और दलाली की राजनीति से हट कर सम्मान देना सीखे: मनीष सिंह

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चौहान मार्केट की ज़मीन का बैनामा सन 1970 में,

रायबरेली:  जिले की सियासत और राजनीति में गरमाहट और बढ़ती जा रही है। एक दूसरे के ऊपर सियासी हमला बोला जा रहा है। रायबरेली की राजनीति दो भागों में बटी नजर आ रही है। कुछ ऐसा ही परिवेश जिले में वर्तमान राजनीति का चल रहा है। जिसका एक सिरा लालपुर और दूसरा सिरा पंचवटी से सम्बद्ध रखता है । लालपुर व पंचवटी के बीच सियासी जुबानी जंग के जरिये एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है । वही कांग्रेसी नेता मनीष सिंह ने अपने निज निवास चौहान मार्केट में प्रेसवार्ता में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए बताया कि मेरे पिता के नाम पर बनाया गया द्वार एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह द्वारा सिर्फ अपनी खोखली राजनीतिक, ज़मीन को पाने की लालसा के लिए ही निर्मित किया गया था और उन्होंने उस द्वार के उद्घाटन के मौके पर अपने एक बयान के माध्यम से साबित भी कर दिया !

 

सिंह ने बताया कि हम सीधे एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह से यह पूछना चाहता हूं कि जब चौहान मार्किट जहां स्व अशोक सिंह का निवास स्थान था। जब वह अवैध भूमि कब्ज़ा करके बनी है। तो उनके नाम से उन्हें श्रंद्धाजलि देने के नाम पर द्वार का निर्माण क्यों किया गया? क्या दिनेश प्रताप सिंह स्व धुन्नी सिंह और स्व अशोक सिंह को अवैध भूमि कब्ज़ा करने वाला मानते हैं? तो स्व अशोक सिंह के सम्मान में द्वार निर्मित करके वो क्या आम जनमानस के सामने प्रस्तुत करना चाहते हैं ? और यदि वो इन दोनों दिवंगत महापुरुषों को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। वही आम जनमानस का लोकप्रिय नेता मानते हैं। तो क्या जो आरोप उन्होंने लगाया है महज आवेश में आ कर लगाया गया है

बात रही चौहान मार्केट के अवैध ज़मीन पर बने होने की है। तो आपकी और सर्वमान्य जनता की जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि इस ज़मीन का बैनामा सन 1970 में हुआ था। जिसे भोला नाथ सिकरिया से खरीदा गया था । मैं दिनेश प्रताप सिंह से मांग करता हूँ कि यदि उन्होंने रायबरेली की जनता को गुमराह करने के लिए कई दशकों तक जन प्रतिनिधि रहे, एक भूमि कब्ज़ा करने वाले नेता स्व अशोक सिंह के सम्मान में बोर्ड लगाया है। तो तत्काल उस बोर्ड को हटाया जाये। और विधान परिषद सदस्य के पद से और जिला पंचायत अध्यक्ष अवधेश सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। यदि उन्होंने बिना किसी आधार और साक्ष्य के ये झूठ बोला है तो दिनेश प्रताप सिंह अपने सम्मानित जन नेता स्व० अशोक सिंह के समर्थकों और उन्हें वोट देकर जनप्रतिनिधि बनाने वाले मतदाताओं से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे। हम यही कहना चाहता कि दलगत और दलाली की राजनीति से हट कर किसी को सम्मान देने और पाने के लिए विचारों और कर्मों का शुद्ध होना अति आवश्यक होता है ।

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