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जुर्माना न जमा कर पाने वाले पांच बंदियों के लिए डॉ. नीलम ओझा बनीं सहारा

जुर्माने की धनराशि 24,484 रूपये जमा कर पांचों बंदियों को कराया रिहा

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छावनी परिषद के उपाध्यक्ष रुपेश ओझा की पत्नी हैं समाजसेवी डॉ नीलम ओझा

अयोध्या। न्यायालय द्वारा दी गई सजा की अवधि पूरी करने के बाद भी अधिरोपित किया गया अर्थदंड न जमा कर पाने के कारण अतिरिक्त सजा काट रहे पांच बंदियों के लिए समाजसेवी डॉ नीलम ओझा सहारा बनीं। बुधवार को उन्होंने जुर्माने की धनराशि 24,484 रूपये जमा करके सभी को न सिर्फ रिहा करवाया, बल्कि उन्हें घर तक जाने के लिए किराया व ठंड से निजात पाने के लिए कंबल भी दिया। उनके इस कार्य की बंदियों के अलावा जेल प्रशासन व आमजन ने भी सराहना की है।
अयोध्या के कनीगंज निवासी रविंद्र मोहन उम्र 39 वर्ष पुत्र रामबरन यादव, सोहावल के मीरपुर कांटे निवासी दिलीप कुमार सरोज उम्र 22 वर्ष पुत्र टनकू, महाराजगंज थाना क्षेत्र के रायपुर हाथीराम चौराहा निवासी रविंद्र कुमार यादव उम्र 30 वर्ष पुत्र रामकरन, नगर कोतवाली क्षेत्र के फतेहगंज निवासी अशोक कुमार शर्मा उम्र 45 वर्ष पुत्र बृजमोहन व बीकापुर कोतवाली क्षेत्र के पटखौली निवासी सतीश नरायण पांडेय उम्र 39 वर्ष पुत्र अवधराम पाठक विभिन्न मामलों में सजा काट रहे थे।
उनके सजा की अवधि पूरी हो चुकी थी, लेकिन न्यायालय द्वारा लगाए गए जुर्माने की धनराशि वह जमा नहीं कर पा रहे थे। उनके परिवारीजन या तो सक्षम नहीं थे या तो उनसे मुंह मोड़ चुके थे। इसकी जानकारी जब छावनी परिषद के उपाध्यक्ष रुपेश ओझा की पत्नी व समाजसेवी डॉ नीलम ओझा को हुई तो उन्होंने सभी को रिहा करने का बीड़ा उठाया। बुधवार को वह अपनी टीम के साथ मंडल कारागार पहुंची और सभी के जुर्माने की धनराशि 24,484 रूपये जमा करके सभी को रिहा कराया। मुख्य द्वार पर उन्होंने जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा के साथ सभी को घर तक पहुंचने के लिए किराया दिया और ठंड से बचाव करने के लिए कंबल भी बांटा। साथ ही उन्होंने सभी को बची हुई जिंदगी में नेक कार्य करने की प्रेरणा दी। उनके इस कृत्य से बंदी भी भावुक हो गए और सभी ने भविष्य में किसी तरह का आपराधिक कृत्य न करने का संकल्प लिया। इस मौके पर डॉ नीलम ओझा ने कहा कि राष्ठ्रपति द्रौपदी मूर्मू की बीते दिनों बंदियों के बारे में की गई टिप्पणी को सुनकर इस तरह से लोगों को मदद करने का विचार मन में था। इसी बीच जेल प्रशासन से जानकारी मिली। सभी को रिहा कराकर मन को शांति मिल रही है। बस यह सभी लोग भविष्य में किसी तरह के गलत कार्य नहीं करेंगे तो मेरा मकसद सार्थक होगा। जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा ने कहा कि समाजसेवी का यह कार्य सराहनीय है।

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